पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३९२

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[१८पन विवाद परमेश्रर चुनेगा यही लालसा से आ पहुंच ॥ ७1 तो वह परमेश्वर अपने ईश्वर के नाम से सेवा करे जैसे उन्म के समस्त लाची भाईजा परमेश्वर के आगे कहां खड़े रहते हैं। ८। अपने पितरों को बेचो हुई बस्तुन मोल को कोड के वे उन के भाग के समान खाने को पावें ॥ । जव तू उस देश में पहुंच जो परमेश्वर नेरा ईश्वर त देता है तो उन जातिगणां के विनित कार्य न मौखिया॥ १. तु में कोई ऐना न हो कि अपने बेटे अथवा बेटो को आग में से चलावे अथवा देवन्न कार्य करे अथवा मुहूर्ण माने अथवा मायावी अथवा टानहिन । ११ । अथवा तांत्रिक श्रथवा बशकारी अबग टोनहा अथवा गणक ॥ १२। क्याकि सब लोग जा से कार्य करते हैं परमेश्वर से घिनित हैं और एसे चिन के कारण से उन को परमेश्वर तेरा ईश्वर तेरे आग से दूर करना है। १३ । न पर मेम्वर अपने ईस्वर से निष्कपट हा ॥ १४ । क्योकि य जातिगण जिन का त अधिकारी हे।गा मुहर्ग के मनवैये को और दैवज्ञ को सुनते थे पान न जो है परमेश्वर तेरे ईश्वर ने तुझे रोक र कला है। १५ । परमेश्वर तेरा ईश्वर तेरे कारण तेरे ही मध्य में से तेरे ही भाइयों में से एक भागमज्ञानी मेरे मुल्य उ य करेगा तुम उस की समियो ॥ ५६ इन सभी की माई जान ने परमेश्वर अपने ईअर रोहरिब में सभा के दिन मांगा और कहा मेला न है कि मैं परमेश्वर अपने ईश्वर का शब्द सुन और ऐसौ बडौ श्राग मैं फेर देखू जिमात कि मैं मर न जाऊं ॥ १७॥ और परमेश्रर ने मुझे कहा कि उन्हों ने जा कुक कक्ष से अच्छा कहा || १८। में उन के लिये दन के भाइयों में से तेरे तुल्य एक आगमज्ञानौ उदय करूंगा और अपना बचन उस के मुंह में डालंग। और जा कुछ में उसे कहंगा वह उन से कहेगा । १६ । और एसा हे.गा कि जो काई मेरी बाते का जिन्हें वह मेरे नाम से कहेगा न सुनेगा मैं उस लेखा लेऊंगा। २० । परंतु जो भागमज्ञानी एसौ ढिठाई करे कि कोई बात जो मैं ने उसे नहीं कहौ मेरे नाम से कहे अथवा जा और देवों के नाम से कहे तो बुह आगमज्ञानी मार डाला जाय॥ २१। और यदि अपने मन में कहे कि मैं उस बचन को क्या कर जा जिसे परमेश्वर ने न कहा ॥ जब आगमज्ञानी परमेश्वर के नाम से कुछ कहे और वुह जो उस