पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३९६

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विवाद [२१ पन्न १७। परंतु उन्हें सर्वथा नाश कर डालना हित्ती और अमरी और कनानी और फरिज्जी और हवो और यवती को जैसी परमेश्वर तेरे ईश्रर ने तुझे अज्ञा किई है॥ १८। जिसन वे समस्त घिनौने कार्य जो उन्हा ने अपने दकों से किये तुम्हें न मिखात्र कि तुम परमेश्वर अपने ईश्वर के अपराधी हो जायो। १६ । जब तू किमी भगर के लेने के लिये लड़ाई में बहुत दिन ताई घेरे रहे तो तू कुल्हाड़ी चलाय के उन के सच्च नाश मत करियो परंतु न उन के फल खाइयो से तू उन्हें काट न डानिया कि तेरे लिय घेरने के काम में आबे यांकि खेत के पेड़ मनुष्य के लिये हैं। २०॥ केवल वे वृक्ष जो खाने के काम के न हों उन्हें काट के नाश करिया और उस नगर के आगे जो तुझ से लड़ता है गढ़ बना जब ताई वुह तेरे वश में होवे । २१ इक्कीसवा पर्छ। दि उम देश में जो परमेश्वर तेरा ईश्वर तेरे वश में करता है किसी को लोथ खेत में पड़ी मिले और जाना न जाय कि किस ने उसे मारा॥ २। तब तेरे माचोन और तेरे न्यायौ बाहर निकले और उन नगरों के जेा घातित के चारों ओर हैं ना। ३। और यों होगा कि जो नगर पातित के समीप है उसी नगर के माचौन एक कलोर लेव जिस से कार्य न किया गया हो और जये तले न आई हो ॥ ४ ॥ ४। और नगर के प्राचीन उस कलोर को खड़बड़ तराई में जो न जाना गया हो न में कुछ ब्राया गया हो ले जाय और उसो तराई में उस कलोर के सिर को उतारे॥ ५। तब याजक जा लावी के संतान हैं पास गांव क्योंकि परमेश्वर तेरे ईम्बर ने अपनी सेवा के लिये और परमेश्वर के नाम से आशीष देने के लिये उन्हीं को चुना है और उन्हीं के बचन से हर एक झगड़ा और हर एक विपत्ति का निर्णय किया जायगा। ६ । फिर हम नगर के समस्त प्राचीन जो धातित के पान हैं उम कलोर के ऊपर जो तराई में बलि किई गई अपने हाथ धाव। देके कहें कि हमारे हाथों ने यह लोहू नहीं बहाया है न हमारी पाखा ने देखा है। ८। हे परमेश्वर अब अपने इसराएली लोगों पर दया कर उस और ७॥ उत्तर