पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३९७

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की पुस्तके। N करेगा। उस्मे कुछ २१ पब्ब] जिन्हें त ने कडाया है और लथा हत्या अपने दूसराएली लोगों पर मत रख तब बुह हत्या क्षमा किई जायगौ। । सो जब न दूमो रीति से वह करे जो परमेश्वर के आगे ठीक है तब तू हत्या को अपने में से दूर १.। और जब त युद्ध के लिय अपने बैरियों पर चढ़े और परमेश्वर तेरा ईश्वर उन्हें तेरे हाथ में कर देवे और त उन्हें बंधुत्रा करे। ९१ । और उन बंधुनों में मुंदर स्त्रो देखे और तेरा मन उस पर चले कि उसे अपनी पत्नी करे॥ १२॥ तब तू उसे अपने घर में ला उस का सिर मुडवा और नंह कटया ॥ १३। तब बुह बंधुआई का बस्त्र उतारे और तेरे घर में रहे और परा एक मास भर अपने मा बाप के लिय शाक करे उस के पौके तू उसे ग्रहण करना और उस का पति होना और तेरी पत्नी हो॥ १४ । उस के पीछे यदि तू उस्मे प्रसन्न न हो तो जिधर घुह चाहे उसे जाने दे पर तु उसे रोकड़ पर मत बेचना तू वाणिज्य न करना कयोंकित ने उस को पति लिई ॥ १५ । यदि किसी को दो पनियां हो एक प्रिया और दूसरौ अप्रिया और प्रिया और अप्रिया दोनों से लड़के हो और पहिलोठा अप्रिया से हो॥ १६ । तो यो होगा कि जब बुह अपने पुत्रों को अधिकारी करे तब बुह प्रिया के बेटे को अप्रिया के बरे पर पहिलौठा न करे। १७। परतु वह अप्रिया के बेट को अपनी समस्त संपनि से दूना भाग दे के पहिलोठा ठहरावे क्योंकि वुह उस के बल का प्रारभं है और पहिलोठ होने का भाग उसी का है। १८ । यदि किसी का पुत्र ढीठ और मगरा होय जा अपने माता पिता को आज्ञा न माने और जब वे उसे ताड़ना करें और बुह उन्हें न माने १४। तब उम के माता पिता उसे पकड़ के उस नगर के प्राचीनों पाम उस स्थान के फाटक पर लाव ॥ २.। और वहा के पाचीनों से जाके कहें कि हमारा यह बेटा ढीठ और मगरा है हमारी बात नहीं मानता बड़ा ही खाऊ और पिअकड़ है। २१। और उस के नगर के सब लोग उस पर पथरवाह करें कि बुह मर जाय इस रो।त से तू दुष्ट को अपने में से दूर करना जिसत समस्त इमराएल सुनक डरें। २२। र यदि किसी ने मार जानने के योग्य पाप किया हो और उसे पेड़ पर लटका देवे ।। २३ । उस को लेोथ रात भर मारा जाय तू