पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३९८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

विवाद [२२ पर्च पेड़ पर लट को न रहे परंतु तू उसी दिन उसे गाड़ियो कयोंकि जो फांमौ दिया जाता है सो ईश्वर का धिकारित है इस कारण चाहिये कि तेरी भूमि जिस का अधिकारी परमेश्वर तेरा ईश्वर नुझे करता है अशुद्ध न हो जाय। तू ३। और २२ बाईसवां पच । अपने भाई के बैल र भेड़ को भटकी हुई देख के अपनी आंख उन से मत छिपा परंतु किसी न किसी भांति से उन्हें अपने भाई पास फेर ला॥ २॥ और यदि तेरा भाई नेरे परोस में न हो अथवा तू उत्से पहिचान ता न हो तब उसे अपने ही घर ला और बुह तेरे पास रहे जय लो तेरा भाई उस की खेाज करे और तू उसे फर देना । इसौ रौति तू उम के गदहे और उस के वस्त्र और सब कुछ से जो तेरे भाई की खोई हुई है। और तू ने पाई है ऐसा ही कर तू अपनी आंख उन से मत छिपाना। ४। अपने भाई का गद हा अथवा चेल मार्ग में गिरा जा देख के आप को उन से मत छिपा निश्श्य उस का सहाय करके उठा देना॥ ५। पुरुष का बस्त्र स्त्री न पहिने और न पुरुष स्त्री का पहिने क्योंकि सब जा ऐसा करते है परमेश्वर नेरे ईश्वर के आगे चिनिन हैं। ६। यदि पश्च में चलने किमी पक्षी का खाता पड़ पर अथवा भूमि पर तुझे दिखाई देवे चाहे उस में गद अथवा अंडे हो और मां गेदों पर अथवा अंडा पर बैठी हुई हो तो तू गेदों को मा समेत मन पकडमा । ७। परंतु माता को छोड़ देना और गदों को अपने लिये लना जिसने तेरा भला होय और तेरा जीपन बढ़ जाय। ८। जमत नया घर बनावे तब अपनो छत पर आड़ के लिय मुंडेरा बना ऐसा न हो कि कोई ऊपर से गिरे और अपने घर में हत्या का कारण हो ॥ अपने दाख की बारी में नाना प्रकार के बीज मत बोना ऐसा न हो कि बीज की भरपूरी जिसे तू ने बोया है और तेरो दाख की बारी का फल अशुद्ध हो जाय॥ १.। तू गदहे को बेल के साथ मन जोतना॥ ११॥ नाना माति का बस्न जैसा कि मन और सूत का मन पहिनियो। १२ । अपने डने की चारों ओर झालर लगाना।