पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४०

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[१८ पर्ब उत्पत्ति पत्नी सरः कहां है वुह बोला कि देखिये नंबू में है। १० । और उस ने कहा कि जीवन के समय के समान निश्चय मैं तुझ पास फिर पाऊंगा और देख तेरी पत्नी सरः एक बेटा जनेगी और सरः उस के पीछे तंबू के द्वार पर सुनती थी॥ ११ । और अबिरहाम और सरः बूढ़े और पुरनिये थे और सरः से स्त्री का व्यवहार जाता रहा ॥ १२ । तब सरः इसके अपने मन में बोली कि क्या अब मुझे बुढ़ापे में और मेरा खामी भी पुरनिया है फिर आनंद होगा॥ २३ । तब परमेश्वर ने अबिरहाम से कहा कि सरः क्या यह कहिके मुमक्कुराई कि मैं जो बुढ़िया हूँ सच मुच बालक जनूंगी । १५ । क्या परमेश्वर के लिये कोई बात अमाध्य है जौवन के समय के समान मैं ठहराये हुए समय में तुझ पास फिर श्राऊगा और सरः को बेटा होगा॥ १५। तब सरः यह कहके १५ । मुकर गई कि मैं तो नहीं हंसी क्योंकि बुह डर गई थी तब उस ने कहा नहीं परन्तु तू हमी है। १६ । तब वे मनुष्य वहां से उठ के सटूम की ओर देखने लगे और अबिरहाम उन्हें बिदा करने को उन के साथ साथ चला ॥ १७॥ फिर परमेश्वर ने कहा कि जो मैं करता हूं से क्या अबिरहाम से हिपाज॥ १८। अबिरहाम तो निश्चय एक बड़ा और बलवान जानि होगा और पृथिवी के सारे जातिगण उस में शाशीघ पाधेगे। १६ । क्योंकि मैं उसे जानता है कि वुह अपने पोछे अपने बालकों और अपने घराने को प्राज्ञा करेगा और वे न्याय और विचार करने को परमेश्वर का मार्ग पालन करगे जिसत जो कुछ परमेश्वर ने अबिरहाम के विषय में कहा है सो उस पर पहुंचावे॥ २०॥ फिर परमेश्वर ने कहा इस कारण कि सदूम और अमूरः का चिनाना बड़ा है और इस कारण कि उन के पाप अत्यंत गरू हुए। २१ । मैं अब उतरके देखूगाजा उस के चिल्लाने के समान जो मुझलां पहुंची है उन्हों ने किया है और यदि नहीं तो मैं जानूंगा॥ २२ । तब उन मनुष्यों ने वहां से अपने मुह फेरे और सद्रूम की ओर गये परन्तु अबिरहाम नद भी परमेश्वर के आगे खड़ा रहा। २३ । और अबिरहाम ने पास जाके कहा कि क्या तू दुष्ट के संग धर्मी को भी नष्ट करेगा। २४ । यदि भगर में पचास धर्मी हाय क्या नद भी नष्ट करेगा और उस के पचास धर्मियां के लिये उस स्थान को न