पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

[२५ पई ८। तो विवाद न होवे कि यदि घुह उससे बढ़ जाय और इन्हों से बहुत अधिक मारे तब तेरा भाई तेरे आगे तुच्छ समझा जाय ॥ ४। दांचने के समय में बैल का मूंह मत बोध ॥ ५। यदि कोई भाई एकटे रहे और उन में से एक निवेश मर जाय तो उस मृतक की पत्नी का बिबाह किसी परदेशी से न किया जाय परंतु उस का दूसरा कुटुंब उसे ग्रहण करे और उसे अपनी पत्नी करे और पति के भाई का व्यवहार उस्मे करे। ६। और या होगा कि जो पहिलोठा बुह जने मृतक के भाई के नाम पर होवे निसने उस का नाम दूसराएल में से न मिटे ॥ ७। और यदि बुह पुरुष कुटुंब की पत्नी को लेने न चाहे तो उम के भाई की पत्नी प्राचीन पास फाटक पर जाय और कहे कि मेरे पति का भाई इसराएल में अपने भाई के नाम का स्थापने से नाह करता है मेरे पति का भाई मुझे अपनी पत्नी नहीं किया चाहता है। नब उस नगर के प्राचीन उस पुरुष को बुलाके उसे समझायें यदि वुह उमी पर खड़ा होने और कहे कि मैं उसे लेने नहीं चाहता ॥ उम के भाई की पत्नी माचौन के सन्मुख उस के पास आये और उस के पायों से जूनी खोले और उस के मुंह पर थूक देवे और उत्तर देके कहे कि उस मनुष्य की यही दशा होगी जो अपने भाई के घर को न खड़ा करे॥ १.। और इसराएल में उस का यह नाम रक्खा जायगा कि यह उस जन का घर है जिनका जूता खोला गया । ११ । जब मनुष्य आपुस में लड़ते हो और एक की पत्नी आवे कि अपने पति को उस के हाथ से जो उसे मार रहा है छोड़ाचे और अपना हाथ बढ़ाके उस के गुर को पकड़े। १२। तो तू उस का हाथ काट डालना तेरी आंख उस पर दया न करे॥ १३॥ तू अपने थैले में बड़े छोटे बटखरे न रखना ॥ १४ । अपने घर में छोटा बड़ा नपुश्रा मत रखना ॥ पूरे और ठीक बटखरे रखना और पूरे और ठीक नपुए रखना जिमते उस देश में जिसे परमेश्वर तेरा ईश्वर तुझे देता है लेरा जीवन बढ़जाय॥ १३। क्येांकि सब जा ऐसा अधर्म करते हैं परमेश्वर तेरे ईश्वर से घिनित हैं। १७। चेत कर कि जब तू मिस्र से निकला तब मार्ग में अमालीक ने तुझ से क्या किया ॥ १८। मार्ग में