पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४०५

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1 २६ पर्च] की पुस्तक तुझ पर क्योंकर चढ़ आया जब तू मूर्लिन और थका था तब उस ने तेरे पीछे के सब लोगों को जो दुर्बल पिछरे हुए थे मारा और वुह ईश्वर से न डरा। १९ । इस लिये ऐमा होगा कि जब परमेश्वर नेरा ईश्वर उस देश में जो परमेश्रर तेरा ईश्वर तेरे अधिकार के लिये तुझे देता है तुझे तेरे चारों ओर के रियों से बैग दो तब तू खर्ग के तले से अमालीक के नाम को मिटा डालना इसे मत भूलना। २६ कब्बीसवां पत्र। पर जब तू उस देश में प्रवेश करे जिम का अधिकारी परमेश्वर तेरा ईश्वर तुझे करता है और उसे वश में करे और उस में बसे । २। तब तू उस देश का जो परमेश्वर तेरे ईश्वर ने तुझे दिया है ममस्त फलों का पहिला जिसे तू भूमि से लेके पहुंचावेगा एक रोकरे में रखके उस स्थान में लेजा जिसे परमेश्वर तेरा ईश्वर अपने नाम को स्थापन करने के लिय चुनेगा ॥ ३। और उन दिनों में जर याजक होगा उस के पास जा और कह कि आज परमेश्वर के आगे प्रण करता हूं कि मैं ने उस देश में जिस के विषय में परमेश्वर ने हमारे पितरों से किरिया खाके हमें देने को कहा था प्रवेश किया। ४। और याजक बुह टोकरा तेरे हाथ से लेके परमेश्वर तेरे ईश्वर की बेदी के आगे रख देवे॥ ५। परमेश्वर अपने ईश्वर के आगे विनती करके यों कहना कि सुअरामी जो मरने पर था मेरा पिता था वुह मिस्त्र में उतरा और उस ने थोड़े लोगों के साथ वहां बास किया फिर वहां एक बहुत बड़ी बलवंती मंडली बनी॥ ६ । और मिस्त्रियों ने हम से बुरा व्यवहार किया और हमें सताया और हम से कठिन सेवा कराई। ७। और जब हम ने परमेश्वर अपने पितरों के ईश्वर के आगे दोहाई दिई तब परमेश्वर ने हमारा शब्द सुना और हमारे परिश्रम और अंधेर को देखा ॥ ८॥ और परमेश्वर सामर्थों हाथ और बढ़ाई हुई भुजा और महा आर्थित और अद्भुत लक्षणों के हाथ से हमें मिस्र देश से निकाल लाया । है। और हमें इस स्थान में लाया और उस ने हमें यह देश दिया जिस में दूध और मधु बहता है । १० । और अब देख मैं इस देश के तब तू