पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४०७

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की पतक । M T २७ सत्ताईसवां पजे -फर मूसा ने दूसराएल के प्राचीनों के साथ होके लोगों को आज्ञा करके कहा कि उस ममस्त श्राज्ञायों को जो आज के दिन मैं तुम्ह कहना है पालन करो। २। और यो हेगा कि जिस दिन तुम यरदन पार होके उस देश में पहुंचा जो परमेश्वर तेरा ईश्वर तुभो देता है तब तू अपने लिये बड़े बड़े पत्य र खड़े करना और उन पर गच करना ॥ ३। और अब तू पार उतरे तब इस व्यवस्था के समस्त बचन का उन पर लिखना जिसंत तू उस देश में प्रवेश करे जो परमेश्वर तेरा ईश्वर तुझे देता है बुद्ध एक देश है जिसमें दूध और मधु बहता है जैसी परमेश्वर तेरे पितरों के ईश्वर ने तुझे देने को वाचा बांधो है। ४॥ सो जब तुम यरन के पार उतर जाओ तब तुम उन पत्य रों को जिन के विषय में मैं तुम्हें आज के दिन आज्ञा करना हूं बवाल के पहाड़ पर खड़ा करना और उन पर गच फेरना ॥ ५। और वहां परमेश्वर अपने ईश्वर के लिये पत्थर की एक वेदो बनाना और उन पर लेहा न उटाणा ॥ ६ । तू परमेश्वर अपने ईश्वर की बेटी ढाक से बनाना चार उस पर परमेश्वर अपने ईश्वर के लिये होम की भेंट चढ़ाना॥ ७॥ और कुशल की भेंट चढ़ाना और वहीं खाना और परमेश्वर अपने ईश्वर के आगे पानंद करना। और उन पत्थरों पर इस व्यवस्था के समस्त बचन खोल के लिखना। <। फिर मूमा और लावी य.जकों ने समस्त इसराएलियों से कहा कि हे इसराएल चौकप्त हो और सुन त आज के दिन परमेश्वर अपने ईश्वर को मंडली हुश्रा॥ १.। सो इमलिये परमेश्वर अपने ईश्वर के शब्द को मान और उत्त की याज्ञायों को और उस की विधिन के पालन कर जो आज के दिन में तुझे कहता हूं ॥ ११ । और भूमा ने उस दिन मंडली के श्राज्ञा करके कहा। १२ कि जब यरदन पार जाग्रे नय समऋन और हावी और यहूदाह ौर इशकार और यूसुफ और विनयम न जरिज म के पहाड़ पर खड़े होके लोगों को श्राशीष दवं । १३ । और रूबिन और जद और यमर और जबल न और दान और नफनाली अबाल के पहाड़ पर नाम देने के लिये खड़े 41