पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४१०

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४.२ विवाद [२८ पर्च तरी भेड़ बकरी के झड सापित । १६ । तू अपने बाहर भीतर आने जाने में स्वापित॥ २०। परमेश्वर तेरे हाथ के समस्त कार्यों में तुम पर स्वाप और झंझट और ट्पट भेजेगा यहां लो कि नाश हो जाय और शौच मिट जाय तेरी करनी की दुष्टता के कारण जिस्मे तू ने मुझे त्याग किया। २१। परमेश्वर 'तुझ पर मरौ संयुक्त करेगा यहाँ ले कि तुझे उस देश से मिटा डालेगा जिम का तू अधिकारी होने जाता है। २२ । परमेश्वर तुझे नयी और ज्वर और ज्वाला और अत्यंत ज्वलन और पियास और भुतुस से और लें ड्रा से मारेगा और वे तुझे रगेद रगेद के नाश करेंगे॥ २३। और तेरे सिर पर का सर्ग पीतल और तेरे तले कौ पृथिबी लोहे की होगी। २४ । परमेश्वर तेरे देश का बरसना बुकनी और धूल बना डालेगा यह वर्ग से तुम पर उतरेगा जब लो न नाश न हो जाय ॥ २५ । परमेश्वर तो तेरे बैरियां के धागे मारेगा तू एक मार्ग से उन पर चढ़ जायगा और उन के आगे मात मागी से भागेगा और प्रथिवी के समस्त राज्यों में निकाला जायगा॥ २६॥ और तेरी लेोध श्राकाश के समस्त पक्षियों का और के पशुन का भोजन हो जायगी और कोई उन्हें न हांकेगा॥ २७ ॥ परमेश्वर तुझे लिख के फोड़े और बएसी और दिनाय और खजुली से मारेगा उन से तू कधी चंगा न हेगा॥ २८। परमेश्वर तुझे बोड़हापन और अंधापन और मन की घबराहट से मारेगा । रोति से कि अंधा अंधेरे में रटोलता है तू दोपहर दिन को टटोलता फिरेगा और तू अपने मागी में भाग्यमान् न होगा और केबल तुझ पर अंधेर हुआ करेगी और कोई न बचायेगा॥ ३० । तू पत्नी से मंगनी करेगा और दूसरा उसे ग्रहण करेगा तू घर वनावेगा परंतु उस में बास न करेगा तू दाख की वारौ लगायेगा परंत उस का फल न खायेगा। ३१ । तेरा बैल तेरी घाखों के मान्ने मारा जायगा और तू उस्सा न खायेगा तेरा गदहा तेरे आगे से बरबस लिया जायगा और तुझे फेरा न जायगा तेरी भेड़ें तेरे वैरियों को दिई जायेंगी और कोई न छोड़ायेगा॥ ३२ । तेरे बेटे और तेरी बेटियां और लोगों को दिई जायेंगी और तेरी आखें देखेंगी और दिन भर उन के लिये कुढ़ते कुढ़ने घट जायगी और नरे २६ । और जिस