पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४१६

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४०८ [३० पर्च जी विवाद उम ने उन्हें न दिया था ॥ २६ । सेो परमेश्वर का क्रोध इम देश पर भड़का कि उम ने समस्त साप जो इस पुस्तक में लिखे हैं इस पर प्रगट किये ॥ २७॥ ौर परमेश्वर ने रिस और कोप और बड़े जलजलाहट से उन के देश से उन्हें उखाड़ा है और दूसरे देश पर आज के दिन की नाई उन्हें डाल दिया ॥ २८ । गुप्त बान परमेश्वर हमारे ईश्वर की हैं परंतु प्रकाशित हमारे और हमारे बंश के लिये सदालों हैं जिसने हम इस व्यवस्था के समस्त बचन को पालें। ३. तीसवां पई। पर यों होगा कि जब यह सब आशीष और माप जिन्हें मैं ने तेरे आगे रकवा तुझ पर पड़ेगा और तू उन सब लोगों में जहां जहां परमेश्वर राईभर सझे हांकेगा उन्हें चेत करेगा। २। और त परमेश्वर अपने ईश्वर की और फिरेगा और उस की उन आज्ञाओं के समान जो आज मैं तुझे कहता हूं अपने खड़कों समेत अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से उसे पालन करेगा। ३। तब परमेश्वर नेरा ईश्वर तेरी बंधुआई को पत्लट डालेगा और तुझे उन सब लोगों में से जिन में परमेश्वर तेरे ईश्वर ने तुझे छिन भिन्न किया है ट्याल हाके फेरेगा और एकडे करेगा। ४। यदि कोई तुभा में प्रकाश के अंत लों हांका गया होगा तो परमेश्वर नेरा ईभार वहां से एकट्ठा करके और लावेगा ५। और परमेश्वर तेरा ईम्पर तुझे उस देश में जिस के तेरे पितर अधिकारी थे और तु उस का अधिकारी होगा और वुह तुझ से भलाई करेगा और तेरे पितरों से अधिक तुझे बढ़ायेगा । ६। और परमेश्वर तेरा ईश्वर तेरे और तेरे वंश के मन का खतनः करेगा तू परमेश्वर अपने ईश्वर को अपने सारे मन और अपने सारे प्राण से प्रेम करे जिसतत जीना रहे। ७। और परमेश्वर तेरा ईश्वर ये समस्त साप तेरे चरियों पर चार उन पर डालेगा जो तेरा डाह रखते हैं जिन्हों मे तुझे सताया ॥ ८॥ और न फिर आवेगा और परमेश्वर के शब्द को मानेगा और उस की उन अाज्ञा को जो आज के दिन में तझ करना हं पालन करेगा । और परमेश्वर तेरा ईश्वर तेरे हाथ के हर एक ॥