पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४१७

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३. पर्व की पुस्तक । ४०९ काम में और तेरे शरीर के फल में और तेरेटार के फल में और तेरी भूमि के फल में भलाई के लिये तुझे अधिक करेगा क्योंकि परमेश्वर धानन्दित होके तुझ से फिर भलाई करेगा जैसा से फिर भलाई करेगा जैसा वुह तेरे पितरों से अानन्दित था। १० । यदि तू परमेश्वर अपने ईश्वर के शब्द को सुनेगा जिसमें उस को श्राज्ञा और विधि को जो व्यवस्था की इस पुस्तक में लिखी हुई है स्मरण करे और यदि त अपने सारे मन से और अपने सारे पाण से परमेश्वर अपने ईश्वर की और फिरे। ११। क्योंकि यह श्रान्ना जो अाज मैं तुझे करता हूं वुह तुझ से न छिपी है न दूर है। वुह खर्ग पर नहीं जो तू कहे कि हमारे लिये कोन वर्ग पर जायगा और हमारे पास उसे लावे जिमने हम उसे सने और पालन करें॥ १३। और न समुद्र पार है जो तू कहे कौन हमारे लिये समुद्र पार जायगा और उसे हम पास लावे कि हम उसे सुनें और उसे पालन करें ॥ १४ । परंतु बचन तेरे पास हौ तेरे मुंह में और तेरे अंतःकरण में है जिसने तू उसे पालन करे। १५ । देख मैं ने आज जीवन और भलाई को और मृत्यु और बुराई को तेरे श्रागे रकवा है । १६। से मैं तुझे परमेश्वर अपने ईश्वर पर प्रेम करने का और उस के मार्गों पर चलने को और उन की अरज्ञाओं और विधिन और उस के विचारों को पालन करने को आज तुझे आज्ञा करता है जिसने तू जीये और बढ़े और परमेश्वर तेरा ईश्वर उस देश में जिम का न अधिकारी होने जाता है तुझे अाशोष देवे ॥ १७। परंतु यदि तेरा मन फिर जाय यहां लों कि तू म सुने परंतु फुमलाया जाय अरु और देवतों को दंडवत करे और उन की सेवा करे १८। तो अाज में तुम्हें सुना रखता हूँ कि तुम निश्चय नाश हो जाओगे और उस देश पर जिस के अधिकारी होने यरदन पार जाने हो तुम्हारी क्य अधिक न होगी॥ १६ । मैं अाज सर्ग और एथिवी को तम्हारे ऊपर साक्षी लाता हूं कि मैं ने जोवन और मृत्यु और श्राशीष और साप तुम्हारे साम्ने रकवे से तुम जीवन को चुमो जिसने तुम और तुम्हारा बंश दोनों जौवें ॥ २० । कि तू परमेश्वर अपने ईश्वर से प्रेम करे और उस के शब्द को माने और उस्म लवलीन रहे क्योंकि वही मेरा जीवन और तेरे बय की अधिकाई है जिसमें तू उस [A. 8. 8.) 52