पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४१९

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३१ पर्व पुस्तक । लड़कों और अपने परदेशी को जो तेरे फारकों के भीतर हों एकडे कौजिया कि वे सुनें और सीख और परमेश्वर तुम्हारे ईभर से डरें और इस व्यवस्था के समस्त बचन को पालन करें और मानें ॥ १३। और उन के लड़के जिन्हों ने ये बातें नहीं जानी सन और जब लो तुम उस देश में जिस के अधिकारी होने को यरट्न पार जाने हो रही परमेश्वर अपने ईश्वर से डरा करो। १४ । फिर परमेश्वर ने मूमा से कहा कि देख तेरे दिन श्रा पहुंचे हैं तुझे मरना है सेर तू यहसूड को बुला और मंडली के तंबू में खड़े हो जिसने मैं उसे आज्ञा करूं से। मूसा यहसूअ चले और मंडली के तंबू में खड़े हुए। १५ । और परमेश्वर मेघ के खंभों में है। के तंबू में प्रगट हुआ और मेव का खंभा नंबू के द्वार पर आके ठहरा। २६ । तब परमेश्वर ने भूसा से कहा कि देख तू अपने पितरों के साथ शयन करेगा और इम मंडली के लोग उठेंगे और उस देश पर जहां ये बसने जाते हैं कुकर्मी होके वहां अन्यदेशी देवता का पीछा करेंगे मझे छोड़ देंगे और उम बाचा को जो मैं ने उन के साथ बांधी है तोड़ेंगे। १७। तब मेरा क्रोध उन पर भड़केगा और मैं उन्हें त्याग करूंगा और मैं उन से अपना मह छिपाऊंगा और विपत्ति उन्हें पकड़ेगी नब वे उस दिन कहेंगे कि क्या हम पर ये बिपत्ति इस लिये नहीं पड़ों कि हमारा ईश्वर हम्में नहीं । १८। और इन मब बुराइयों के कारण से जो चे करेंगे और दूस लिये कि उपरी देवता की ओर लवलीन होंगे मैं निश्चय उस दिन अपना मह छिपाऊंगा ॥ १८। सो तुम यह गीत अपने लिये लिखा और उसे दूसराएल के संतानों को सिखाओ और उन्हें पढ़ाओ जिसने यह गीत इसराएल के संतानों पर मेरी साक्षी रहे। २०। इस लिये कि जब मैं उन्हें उस देश में पहुंचाऊंगा जिस के कारण मैं ने उन के पितरों से किरिया खाई जिस में दूध और मधु बहता है और वे उसे खायेंगे और न होवे गे और मोरे हो जायेंगे तब वे और देवतों की और फिर जायेंगे और उन की सेवा करेंगे और मुझे खिजावेंगे और मुझ से बाचा तोड़ देंगे । २१ । और यो होगा कि जब बहुत कष्ट और बिपत्ति उन पर पड़ेंगी नब यही गीत उन पर