पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४२०

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४१२ यिवाद साक्षी देगी क्योंकि वुह उन के बंश के मुंह से बिसर न जायगी क्योंकि में उन के विचारों को जानता हूं जो वे अाज करने हैं उसे आगे कि मैं उस देश में जिम के कारण मैं ने किरिया खाई है उन्हें पहुंचा ॥ २२॥ सेो उसी दिन मूसा ने यह गीत लिखा और दूसराएल के संतान को सिखाया ॥ २३ । और उस ने नून के बेटे यहसूत्र को श्राज्ञा किई और कहा कि दृढ़ हो और साहम कर क्योंकि इसराएल के संतान को जम देश में जिम के कारण मैं ने उन से किरिया खाई है तू ले जायगा और मैं तेरे साथ होऊंगा॥ २४ । और ऐमा हुअा कि जब मूसा इस व्यवस्था की बातों को पुस्तक में लिख चुका और उन्हें समान किया । २५ । तब ममा ने लावियों को जो परमेश्वर की साक्षी को मंजषा को उठाते थे कहा ॥ २६ । कि इस व्यवस्था की पुस्तक को लेके परमेश्वर अपने ईश्वर की बाचा को मंजूषा के श्लंग में रकया जिसने यह तुम्हारी साक्षी के लिये वहां रहे। २७। क्योंकि मैं तेरे झगड़े और तेरे गले की कठोरता को जानता हूं देख अबलों में जीता और आज के दिन में तुम्हारे साथ हूं और तुम ईश्वर से फिर गये है। तुम मेरे मरने के पीछे कितना अधिक करोगे॥ २८। अपनी गोष्ठियां के समस्त माचौनों को और प्रधानों को मुझ पात एकट्ठा करो जिमत में ये बातें उन्हें सुनाऊं और वर्ग और पृथिवी को उन पर साक्षी में लाऊं॥ २६ । क्योंकि मैं जानता हूं कि मेरे मरने के पीछे नम आप को नष्ट करोगे और उस मागे से जो मैं ने तुम्हें श्राज्ञा किई है फिर जागे वार पिछले दिनों में तुम पर विपत्ति पड़ेगी क्योंकि तुम परमेश्रर के आगे बुराई करोगे कि अपने हाथ के कार्यों से उसे खिझाओगे। ३० । सेो मूसा ने इस गीत के वचन को रसराएल की समस्त मंडली को कह सुना के पूरा किया। ३२ वृत्तीसवां पर्च। खा कान धरो और मैं कहूंगा और हे एथिवी मेरे मुंह की बातें मुन॥ २ । मेरो शिक्षा मेंह को नाई. टपकेगी और मेरी बात ओस के समान चूयंगौ जैसे सागपात पर फूही पड़ और बात पर झड़ियां। ॥ कि मैं परमेश्वर के नाम को प्रगर करता हूँ तुम हमारे ईश्वर के नाम की है.