पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४३०

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बहस [२ पब २ दूसरा पर्छ। और ५। और यों पर नून के बेटे यहसूअ ने सन्तीन से दो मनुष्य भेजे कि चुपके से भेद लेवे और उन्हें कहा कि जाओ उस देश को अर्थात् यरीहो को देखा से वे गये और एक गणिका के घर में जिम का नाम राहब था श्राके उतरे। २। तब यरीहे के राजा को संदेश पहुंचा कि देख आज रात इसराएल के संतान में से लोग आये हैं जिसमें देश का भेद लेवें ॥ ३ । तब मरोहा के राजा ने राहब को यह कहके कहला भेजा कि उन मनुष्यों को जो तुम पास आये हैं और मेरे घर में उतरे हैं निकाल दे क्योंकि वे सारे देश का भेद लेने को आये हैं॥ ४। तब उस स्त्री ने उन दोनों मनुष्यों को लेके छिपा रक्ला और यों कहा कि मेरे पास आये तो थे पर में नहीं जानती कि कहां के थे। हुया कि फाटक बंद करते वे अंधेरे में निकल गये और में नहीं जानती कि वे कहां गये सो शौच उन का पीछा करो क्योंकि तुम उन्हें जाही लेयोगे ॥ ६ । परंतु बुह उन्हें अपनी छत पर चढ़ा ले गई और सनई के नीचे जीत पर सजी रकतों थौं छिपा दिया। ७। और लोग उनके पौछे यरदन को और हलाब लो गये और ज्यों उन के खोजौ बाहर निकल गये त्यांही उन्हेां ने फाटक बंद कर लिया। ८। और स्त्री उन के लेटने से आगे छत पर उन पास गई ॥ । और उन्हें कहा कि मैं जानती हूँ कि परमेश्वर ने यह देश तुम्हें दिया है और भय हमों पर पड़ा है और इस देश के समस्त बासी तुम्हारे आगे गल गये हैं। १० । क्योंकि हम ने सुना है जब कि तुम मिस्र से बाहर निकले तो परमेश्वर ने तुम्हारे लिये लाल समुद्र के पानियों को किस रौनि से सुखा दिया और तुम ने अमूरियों के दा राजायों सैहन और जज से जो यरदन के उस पार थे क्या किया और तुम ने उन्हें सर्वथा नाश किया। ११। और ज्यांही हम ने सुना ज्यांही हमारे मन गल गये और किसी में तुम्हारा सामना करने का तनिक भी हियाव न रहा क्योंकि परमेम्बर तुम्हारा ईश्वर ऊपर लगे में और नीचे पृथिवी में वही ईश्वर है।