पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४३४

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यहसूत्र पर्च और हर एक तुममें से इसराएल के संतानों की गोष्ठी की गिनती के समान पन्थर अपने कांधे पर लेवे॥ ६ । जिसने यह तुम्में एक चिह्न होवे और जब आगमी काल में तुम्हारे बंश पूछे और कहें कि ये पत्थर कैसे हैं। ७। तो तुम उन्हें उत्तर दीजियो कि यरदन के पानी परमेश्वर की बाचा की मंजूषा के आगे दो भाग हुए जब चुह यस्दन पार गया तो यरदन के पानी दो भाग हुए सो ये पत्थर स्मरण के लिये इसराएल के संतानों के कारण अन्त ले होंगे। ८। और इमराएल के संतानों को गोष्ठियों की गिनती के समान जैसा परमेश्वर ने यहूस्से कहा और जैमी यहूमूत्र ने उन्हें श्राज्ञा किई दूसराएल के संतानों ने वैसा ही किया और यरदन के मध्य में से बारह पन्थर उठाये और उन्हें अपने संग उस स्थान लो जहां वे टिके ले गये। तव यहूसूत्र ने बरदन के बीचोंबीच उस स्थान पर जहां याजकों के पांव पड़े जा माक्षी की मंजूषा को उठाये थे बारह पत्यर खड़े किये सो वे आज के दिन ले वहां हैं। १.। क्योंकि याजक जो मंजूषा को उठाये हुए थे यरदन के बीच बीच खड़े रहे जब लो हर एक बात जो परमेश्वर ने यहूमूत्र को आज्ञा किई कि मूसा की प्राज्ञाओं के समान मंडली को कहे संपूर्ण हो चुकी उस के पीछ लोग शीघ्रता करके पार उतर गये ॥ ११ । और यो हुआ कि जब समस्त लोग पार हो चुके तब लोगों के आगे याजक परमेश्वर की मंजषा लिये हुए पार गये । १२ । तब जद के संतान और रूविन के संतान और मुनस्मी को आधौ गोष्ठी जैमा मसा ने कहा था दूसराएल के संतानों के भागे हथियार बांधे हुए पार उतर गये। १३। चालीस सहस्र एक हथियार बांध हुए लैस संग्राम के निमित्त परमेश्वर के आगे यरौहू के चौगानों में पार उतरे। १४ । उस दिन परमेश्वर ने समस्त इसराएल की दृष्टि में यहूसूत्र को महिमा दिई और चे उस के जीवन भर उम्म ऐसा डरे जैसा वे मूमा से डरते थे। १५ । तब परमेश्वर यहूमूत्र यो कहके बोला। १६ । कि उन याजको से जो साक्षी की मजूषा को उठाते हैं कहो कि यरदन से बाहर निकल आओ ॥ १७॥ से यहसूत्र ने याजकों से कहा कि वरदान से निकल आओ॥ १८। और ऐसा हुआ कि जब वे याजक जो परमेश्वर की साक्षी की