पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४३७

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की पुस्तक । ४२६ से कहा कि अपने पांव से जूता उतार क्योंकि यह स्थान जहां तू खड़ा है पवित्र है॥ १६ । और यहूसूत्र ने ऐसा ही किया। ६ कठयां पढ़। इसराएल के मंतानों के कारण यरीह बंद हुया और बंद किया गया कोई बाहर न जाता था न भीतर श्राता था। और परमेश्वर ने यहसूत्र से कहा कि देख में ने यरीहू को और उस के राजा और वहां के महाबौरों को तेरे बश में कर दिया। ३। सो समस्त योहा नगर को घेर ले थे और एक बार उस के चारों ओर फिरो इस रीति से दिन लो कीजियो॥। और सात याजक मंजूषा के आगे सान भरसिंगे उठावें और तुम सात दिन मान वार नगर के चारों और फिरो और याजक नरसिंगे फेंके। ५। और यो हेागा कि जब वे देर लो नरसिंगे फूकेगे और जब तुम नरसिंगे का शब्द सुनो तो समस्त लोग महा शब्द से ललकारे और नगर को भौत नीचे से गिर जायगी और लोग अपर चढ़ जावें हर एक जन अपने अपने आगे॥ ६ । तब नून के बेटे यहूसूअ ने याजकों को बुलाया और उन्हें कहा कि साक्षी की मंजूषा उठाओ और सात याजक सात नरसिंगे परमेश्वर की मंजूषा के आगे लिये हुए चलो। ७१ तब उस ने लोगों से कहा कि जाओ नगर को घेरो और जो हथियार बंद हैं मे परमेश्वर की मंजूषा के आगे धागे चलें। ८। और ऐमा हुअा कि जब यह सूत्र ने लोगों से यह कहा तो सात याजक सात नरसिंग लेके परमेश्वर के प्रागे आगे चले और उन्हों ने नरसिंगे फूंके और परमेश्वर को साक्षी को मंजषा उन के पोछे पीछे गई। । और हथियार बंद लोग उन याजकों के जो नरसिंगे फंकते थे आगे आगे चले और जो अन्न की सेना में घे मंजषा के पौके पीक चले और नरसिंगे फूंकने जाते थे॥ १० । और यहसूत्र ने लोगों को आज्ञा करके कहा कि तुम मत ललकारियो और न अपना शब्द सुनाइयो और तुम्हारे मुंह से कुछ बान न निकले जब लो मैं तुम्हें ललकार ने को कहूं तब लल कारिया ॥ ११ । सो परमेश्वर को मंजूषा नगर के चारों और एक बार फिर आई और वे छावनी में आये और छावनी में रहे।