पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४३८

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४३० यहसूत्र [६ पर्च १५। और १२। फिर विहान को यह उठा और याजकों ने परमेश्वर की मंजूषा को उठा लिया ॥ १३ । और सात याजक मान नरसिंगे लेके परमेश्वर को मंजूषा के आगे आगे नरनिंगे फूंकते चले जाते थे और वे जो हथियार बंद थे उन के आगे आगे हो लिये और बेजा पीछे थे परमेश्वर की मंजूषा के पीछे हुए और नरसिंगे फूंकते जाते थे॥ १४। सो दूसरे दिन भी वे एक बार नगर की चारों ओर फिर के छावनी में फिर आये ऐसा ही उन्होंने छः दिन लो किया । सातवें दिन यां हुअा कि वे बिहान पौ फटते भार को उठे और उसी भांति से नगर के चारों और सात बार फिरे केवल उसी दिन बे सात बार नगर के चारों ओर फिरे। १६ । सो सानवौं फेरौ में ऐसा हुआ कि जब याजकों ने नरसिंगे फूके तब यहसूत्र ने लोगां से कहा कि ललकारो क्योंकि परमेश्वर ने नगर तुम को दिया । १७। और नगर और सब जो उस में हैं परमेश्वर के लिये सापित होंगे केवल राहब गणिका उन सब समेत जो उस के साथ उस के घर में हैं जौती बचेगी इस निये कि उस ने उन अगुत्रों को जो हम ने भेजे थे छिपाया ॥ १८॥ परंतु तुम जो हो अपने को सापित बस्तों से अलग रखियो ऐसा न होवे कि तुम स्वापिन बस्तु ले के सापित हो जाओ और इसराएल की छावनी को नापिन करके उसे दुख देओ॥ १४ । परंत सब चांदी सोना और लोहे पीनल के पात्र परमेश्वर के लिये पवित्र हैं वे परमेपर के भंडार में पहुंचाये जायेंगे। २०। सो लोगों ने ललकारा याजकों ने और उन्हों ने नरसिंगे फूंके और ऐमा हुअा कि जब लोगों ने नरसिंगे का शब्द सुना और लोगों ने महा शब्द से ललकारा तब भीने नीचे से गिर पड़ों यहां ले कि लोग नगर पर चढ़ गये हर एक मनुष्य अपने अपने आगे और नगर को ले लिया॥ २१ । और उन्हों ने उन सब को जो नगर में ये क्या पुरुष क्या स्त्री क्या युवा क्या वृद्ध क्या बैल क्या भेड़ गदहे एक बार तलबार की धार से मार डाला। २२। परंतु यहसूत्र ने उन दो मनुष्यों को जो भेद के लिये उस देश में गये थे कहा कि गणिका के घर जाओ और वहां से उस स्त्री को और सब जो उस का है। जैसे तम ने उस्से किरिया खाई थी निकाल लायो। २३ । तब वे