पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४४

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उत्पत्ति [२. पर्ज पृथिवी पर कोई पुरुष नहीं रहा जो जगत की रीति के समान हमें ग्रहण करे॥ ३२। से आओ हम अपने पिता को दरख रस पिलावें और हम उस के साथ शयन करें कि हम अपने पिता से बंश जुगावें । ३३ । तब उन्हों ने उस रात अपने पिता को दाख रम पिलाया और पहिलाठी भीतर गई और अपने पिता के साथ शयन किया उस ने उस के शयन करते और उठते सुरत न किई ॥ ३४। और जब दूसरा दिन हुआ पहिलाठी ने छुटकी से कहा कि देख मैं ने कल रात अपने पिता के साथ शयन किया हम उसे अाज रात भी दाख रस पिलावें और तू जाके उस के साथ शयन कर जिसने हम अपने पिता का बंश जुगाव ॥ ३५ । तब उन्हों ने अपने पिता को उस रात भी दाख रम पिलाया और कुटकी ने उठके उस के साथ शयन किया उस ने उस के भी न शयन करने न उठते हुए मुरत किई ॥ ३६ । इस रीति से लूत की दोनों बेटियां अपने पिता से गर्भिणी हुई॥ ३७। और पहिलाठी एक बेटा जनी और उस का नाम मोअब रक्खा बही आज लो मोअबियों का पिता है ॥ ३८ । और छुटको भी एक बेटा जनी और उस का नाम बिनश्रमी रक्या और वही आज लो अमन के बंश का पिता है । २. बीमा पर्ब -फर अबिरहाम ने वहां से दक्खिन के देश को यात्रा किई और कादिस और सूर के बीच ठहरा और जिरार में टिका॥ २॥ और अविरहाम अपनी पत्नी सर: के विषय में बोला कि यह मेरी बहिन है सो जिरार के राजा अविमलिक ने भेजके सरः को लेग्निया ॥ ३ । परन्तु रात को ईश्वर ने अबिमलिक पास खप्न में अाके कहा कि देख तू इस स्त्री के कारण जिसे तू ने लिया है मर चुका क्योंकि वुह पति से ब्याही है॥ ४ । परन्तु अबिमलिक उस पास न आया था तब उस ने कहा कि हे परमेश्वर क्या त धर्मी जाति को भी मार डालेगा ॥ ५ । क्या उस ने मझे नहीं कहा कि बुह मेरी बहिन है और वुह आपही बोली कि बुह मेरा भाई है मैं ने अपने मन की सच्चाई और हाथ की निर्दोषता से ऐमा किया है। ६। तब ईश्वर ने उसे सप्न में कहा कि मैं भी जानता हूँ कि तू ने अपने a शि