पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४४८

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886 [१० प यहस्त्र ७। तब यहसूअ सारे योद्धाओं को और समस्त महापौरों को साथ लेके जिलजाल से चढ़ गया ॥ ८। और परमेश्वर ने यहसूत्र से कहा कि उन से मन डर क्योंकि मैं ने उन्हें तेरे वश में कर दिया उन में से एक जन भी तेरे सान्ने ठहर न सकेगा। तब यह जिलजाल से उठके रात भर चला गया और अचानक उन पर या पहुंचा ॥ १। और परमेश्वर ने इमराएल के धागे उन्हें धूस्त किया जिक्शून में बड़ी मार से उन्हें मारा और चैनहोरान को जाते हुए मार्ग में उन्हें रगेदा चार अौकः और मुकेस लां उन्हें मारा ॥ ११ । और ऐसा हुआ कि जब वे इसराएल के साम्ने से भाग निकले और बेतहौरान के उतार की और गये तब परमेश्यर ने अजीकः ले सर्ग से उन पर बड़े बड़े पत्थर बरसाये और वे मूये वे जो गले से मारे गये थे उन से अधिक थे जिन्हें दूसराएल के संवानों ने तलवार में मारा॥ १२। तब परमेश्वर ने अभूरियों को इमराएल के संतान के वश में कर दिया तब यह ने उसी दिन परमेश्वर को इसराएल के संतान के आगे यां कहा कि हे सूर्थ जिवजन पर और हे चंद्रमा त ऐयलन की तराई में ठहर जा॥ १३ । तब सूर्य उहर गया और चंद्रमा स्थिर हुआ जब ले उन लोगों ने अपने शकुन से पलटा लिया क्या असर को पुस्तक में नहीं लिखा है सेर सूर्य वर्ग के मध्य में ठहर रहा और दिन भर अस्त होने में शौघ न किया। और उसे आगे पीछे ऐसा दिन कभी न हुआ कि परमेश्वर ने एक पुरुष के शब्द को माना क्यांकि परमेश्वर ने इसरारत के लिये युष्ट किया ॥ १५ । तव यह समस्त इसराएल के संग जिलजाल की छावनी को फिर गया ॥ १६ । परंतु पांचां राजा भागे और मुकदः की कंदला में जा छिपे ॥ १७॥ और यजम को संदेश पहुँचा कि पांचों राजा मुदः की कंदला में छिपे हुये पाये गये ॥ १८। तब यह सूत्र ने कहा कि बड़े बड़े पत्थल उन्म कांदसा के मुंह पर दुशकाओ और उस पर चौकी बैठायो। १६ । और तुम मत ठहरो परंतु अपने शत्रुन का पीछा करो और उन के पकरे हुओं को मार डाला उन के नगरों में उन्हें पैठने मन दया क्योंकि परमेश्वर तुम्हारे ईश्वर ने उन्हें तुम्हारे हाथ में कर दिया है। २० । चैत्र ऐसा हुआ कि जब यहूसूत्र दूसराएल