पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४५४

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[१३ पद १७। 'तुफफाह यहसूत्र राजा जो बैनएल के लग है एक ॥ १० । यरूमलम का राजा एक हबरून का राजा एक॥ ११। यरमून का राजा एक लकीस का राजा एक ॥ १२। इजलन का राजा एक जजर का राजा एक । १३। दवीर का राजा एक जट्र का राजा एक॥ १४। हुरम: का राजा एक अराद का राजा एक॥ १५ । लिबन: का राजा एक अटूलाम का राजा एक ॥ १६। मुक्कैदः का राजा एक बैनऐल का राजा एक ॥ का राजा एक हिफ का राजा एक ॥ १८। अफौक का राजा एक लशारून का राजा एक॥ १४ मटून का राजा एक हासूर का राजा एका २०। शमरूनमोरून का राजा एक रकशाफ का राजा एक ॥ २१। तअनाक का राजा एक मजिद्दों का राजा एक ॥ २२। काटिस का राजा एक यकनियम करमिन्न का राजा एक ॥ २३ । दोर का राजा दौर के सिवाने में एक जानिगणों का राजा जिलजाल में का एक ॥ २४। तिरजः का राजा एक ये सब एकतीस राजा थे। १३ तेरहवां पर्च। अब यहाटअ डर होके पुरनिया हुअा औरर परमेश्वर ने उसे कहा कि तू बूढ़ा और पुरनिया हुआ और अब लो बहुत सी भूमि अधिकार के लिये धरी है। २। यह देश अब लो धरा है फिलिस्तियों का समस्त बिभाग और समस्त जसूरी॥ ३॥ सैहर से जो निस के आगे है अकरून के सिवाने लो उत्तर दिशा को कनान में गिना जाता है जो फिलस्तियों के पांच अध्यक्ष हैं गसाथी और अशदूदी और अशकलूनी और गादी और अकरूनी और अयोम भी॥ ४। दक्षिण दिशा से कनान के सारे देश और कंदला जा सैदियों के लग है अमूरियों के सिवाने अफीक ला॥ ५ । और जब गिबलीथी का देश और सारा लुबनान उदय की और बबलजद से जो हरमून के पहाड़ के नीचे है हमान की पैठ ला॥ ६। पहाड़ी देश के समस्त बासी लबमान से लेके मिसरेफोटमाई म लो और सारे मैदी में उन्हें दूसराएल के संतान के सामने से दूर करूंगा केवल तू चिट्ठी डालके उसे इसराएलियों को अधिकार के लिये बांट दे जैसी मैं ने 'तुभी आज्ञा किई है। ७। सो अब इस देश को