पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४५८

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[१५ पर्ब यह ९४ । सो हबरून कनजी यफु.चे के बेटे कालिब का श्राज लो अधिकार हुप्राइम लिय कि उस ने परमेश्वर मराएल के ईश्वर का पोश परि- पूर्णता से किया ॥ १५ । चार अगिने समय में हबरून का नाम करयत- अरब और जो अनी अनाकियों में महाजन था और देश ने सड़ाई से चेन पाया। ओ से यरदन के छव्य १५ पंदर हयां प । पर यह्नदाह के संतान की गोष्ठी को चिट्ठी उन के घरानों के समान यह धौ सौन के बग से दक्षिण दिशा दक्षिण के अत्यंत तीर अहून के सिवाने ले दक्षिण। २। और उस का दक्षिणी सिवाना खारी सागर से अर्थात् उस काल से जो दक्षिण की ओर जाता है। ३॥ और बुह दक्षिण की अलंग अकविम को ऊंचाई से निकल के सोन ले गया और दक्षिण की ओर से चढ़ के हसरून ला गया और कादिसबरमौत्र को चढ़ा और करका को फिरा। ।। और वहां से अजमन को पहुंचा और निकल के मिस की नदी ले गया और उस के तीर के निकास समुद्र को गथ यही तुम्हारा दक्षिण सिवाना होगा॥ ५। और उस का पर्व मिवाना खारी समुद्र लो और उस का उत्तर का सिवाना समद्र के काल से ज। यरदन का अन्यत है। ६। और यह सिवाना बैतहजनः को चड़ गया और बैतुलअरबः के उत्तर की अलंग चला गया और रूबिन के बेट बुहन के पत्यर लो शिवाना चढ़ गया ॥ ७॥ फिर अवर को नराई से दौर की पर चढ़ गया और यां उत्तर को जिलजाल की बेगर गया जा अदमौम की चढ़ाई के साम्न है जा नदी के दक्षिण अलंग है और सिमाना ऐनशम्स के पानियां को शेर गया और उस के निकास ऐनराजिल में थे। और यक्सी जो यहसतम हैं उस की उत्तर. अलंग हिनम के बेटे की तराई के पास सिवाना चढ़ गया और उस पहाड़ की चाटी लांजा पश्चिम दिशा हिन्म की तराई के आगे है जो उत्तर दिशा में दानव को तराई के अंत में है। 6 और सिवाना पहाड़ को चोटो से नफतूह के सोता के पास और इफरून पहाड़ के नगरों के पास .