पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१८ पच की पुस्तक। १७। और दूशकार के संतान के घरानों के समान दृशकार के लिये चौथी चिट्ठी निकली। २८। और उन का सिवाना यजरअएल और कसूलात और एनेम की ओर था॥ १६। और हरैन और शेयून और अनाहरत। २०। और रब्बियत और किमयुन और इबसान। २१ । और रमत और ऐनजन्नीम और ऐनहः और बैनफसोस ॥ २२। उन का सिवाना तबूर और शखमीम और बैतशम्म से जा मिला और उस के सिवाने के निकास यरदन को हुए सोलह नगर उन के गांव समेत ।। २३ । ये नगर और उन के गांव इशकार के संतान का अधिकार उन के घरानों के समान है। २४। और पांचवौं चिट्ठी यसर के संतान को गोष्ठी के लिये उन के घरानों के समान निकली। २५। और उन का सिवाना हलकात और हली और बतन और दूकशाफ हुआ। २६ । और अलमलिक और अमिश्राद धौर मिमाल और उन का मिवाना पश्चिम दिशा करमिल और मैहर लिबनात लों पहुंचता है॥ २७॥ और उदय को और बैनदजून को फिरा और जबुलून और इफताहिएल की तराई को बैतुल उमुक की उत्तर और जा मिला और नगिएल और कबूल के बाई और निकलता है। २८। और अवरून और रहब और हम्मून और काना बड़े सिटून लेां ॥ २६ । और उस का नीर रामा को और दृढ़ नगर सूर को फिर जाता है और वहां से मुड़ के हमः ला गया और उस के निकास के तौर से अकजीब को। ३। और अम्मः और अफौक और रहव बाईस नगर उन के गांव सहित ॥ ३१॥ यसर के संतान की गोष्ठी का अधिकार उन के घरानों के समान ये नगर उन के गांव सहित ॥ ३२ । छठवी चिट्ठो नफनाली के संतान के अर्थात् नफलाली के संतान के घरानों के समान निकली॥ ३३ । और उन के सिधाने हिलफ से अलून से ज़अननीम को और अदामीनकब और यिन्निएल लकुम लो और उस के निकास यरदन से थे ॥ ३४ । और सिवाना पश्चिम दिशा को फिर के उजनातुलतबूर को जाता है और वहां से जाके हकूक को दक्षिण दिशा जबुलून को पहुंचना है और पश्चिम दिशा में यसर को पहुंचता है और पूर्व की ओर यरदन पर यहूदाह से जा मिलता है।