पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४७

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की पुस्तक। ३७ २१ प] एक तीर के टप्पे पर दूर जा बैठी क्योंकि वुह बोली कि मैं इस वास्नक को मृत्यु को न देखू को न देखू और बुह उस के सन्मुख बैठ के चिल्ला चिल्ला रोई । ९७। तब ईश्वर ने उस वालक का शब्द मुना और ईश्वर के टूत ने सगै में से हालिरः को पुकारा और उसे कहा कि हे हाजिर: तुझे क्या हुआ मत डर क्योंकि जहां वह बालक है तहां ईश्वर ने उस के शब्द को सुना है। १८। उठ और उस लड़के को उठा और उसे अपने हाथ से घर ले कि मैं उरमे एक बड़ी जाति वनाऊंगा ॥ २६। और ईश्वर ने उस की श्रांखें खोलौं तब उस ने पानी का एक कूआं देखा और उस ने जाके उस कुप्पे को पानी से भरा और उस लड़के को पिलाया ॥ २० । और ईश्वर उस लड़के के साथ था और बुह बढ़ा और बन में रहा किया और धनुषधारौ हुत्रा॥ २१। फिर उस ने फारान के बन में जाके निधाम किया और उस की माता ने मिस देश से उस के लिये एक पत्नी लिई॥ २२॥ और उस समय में यों हुआ कि अविमलिक और उस की सेना के प्रधान फीकुल्ल ने अविरहाम को कहा कि सब कार्यों में जो तू करता है ईश्वर तेरे संग है। २३ । और अब मरा ईश्वर की किरिया खा कि मैं तुस्से और तेरे बेटों और तेरे पोतों से छल न करूंगा उम अनुग्रह के समान जो मैं ने तुझ पर किया है मुस्से और उस भूमि से जहां तू टिका २४ । तव अविरहाम बोला कि मैं किरिया खाऊंगा!! २५। और अबिरहाम ने पानी के एक कर के लिये जिसे अबिमलिक के सेवकों ने बरबस्ती से लेलिया था अविमलिक को दपरा॥ २६ । तब अविमलिक ने कहा कि मैं नहीं जानता किस ने यह काम किया है और अाप ने भी तो मुस्से न कहा और मैं ने भी तो आजही सुना ॥ २७६ फिर अबिरहाम ने भेड़ और गाय बैल लेके अबिमलिक को दिये और उन दोनों ने आपस में नियम बांधा ॥ २८। तब अबिर हाम ने झंड में से सात मेने अलग रक्खे ॥ २६। और अविमलिक ने अविरहाम से कहा कि आप ने भेड़ के सात मेम्ने क्यों अलग रकवे हैं ॥ ३०। उस ने कहा इस कारण कि तू उन भेड़ के सात मेने को मेरे हाथ से ले कि वे मेरी साक्षी होवें कि मैं ने यह कूआं खोदा है॥ ३१ । इस कारण उम ने उस स्थान का नाम बीअरमबअ रक्खा क्येांकि उन दोनों ने वहां आपस है करे।