पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४७९

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की पुस्तका २४ ५ ४७१ तुम्हें उम के हाथ से छुडाया ॥ १। फिर तुम बरदन पार उतरे और यरीह को आये और यरीहू के लोग अमूरी कर फरिज्जी और कनानी और हित्ती और जिरजरमी गार हबी और यबूमौ तुम से लड़े और मैं ने उन्हें तुम्हारे वश में किया ॥ १२ । तब मैं ने तुम्हारे आगे बरी को भेजा जिन्हों ने उन्हें अर्थात् अभूरियों के दो राजायों को तुम्हारे आगे से हांक दिया तुम्हारी तलवार और धनुष से नहीं ॥ १३। और मैं ने तुम्हें वुह देश दिया जिस के लिये तुम ने परिश्रम न किया और वे नगर जिन्हें ने न बनाया और तुम उन में बसे हो तुम दाख की बारी पार जलपाई की बारी से जो तुम ने नहीं स्नगाई खाते हो ॥ ९.४ । सेा अब तुम परमेश्वर से डरो और सीधाई से और सचाई से उस की सेवा करो और उन देवता को जिन को तुम्हारे पितर नदी के उस पार और मिह में सेवा करते थे निकाल फको और परमेश्वर की सेवा करो। १५ । और यदि परमेश्वर की सेवा करना तुम्हें बुरा जान पड़े तो आज के दिन चुनो कि किस को सेवा करोगे उन देवता की जिन की सेवा तुम्हारे पितर नदी के उम पार करते थे अथबा अमूरियां के देवतों को जिन के देश में तुम बसते हो परंत मैं और मेरा घराना परमेश्वर की सेवा करेगे। १६ । तब लोगों ने उत्तर देके कहा कि ईश्वर न करे कि हम परमेश्वर को त्याग के आन देवनों की सेवा करें। १७। क्योंकि परमेश्वर हमारा ईश्वर है जो हमें और हमारे पितरों को मिस्र देश से यधुभाई के घर से निकाल लाया और जिस ने बड़े बड़े घायं हमारी अांखे के साम्ने दिखाये और सारे मा में जहां जहां हम चलते थे और उन सब लोगों के मध्य जिन में से होके आये हमारी रक्षा किई । १८। और परमेश्वर ने सारे लोगों को अर्थात् अमू- रियों को जो उस देश में बनने थे हमारे आगे से निकाल दिया दूस लिये हम भी परमेश्वर की सेवा करेंगे क्योंकि वही हमारा ईश्वर है ॥ १८ । फिर यहसूत्र ने लोगों से कहा कि तुम परमेश्वर की सेवा न कर सकेगे क्योंकि बुह पवित्र ईश्वर और ज्वलित ईश्वर है जो तुम्हारे अपराधी और तुम्हारे पापों को क्षमा न करेगा ॥ २० । यदि तुम परमेश्वर को व्यागोगे और उपरी देवता की सेवा करोगे तो वुह भला करने के पीछे फिर के तुम्हें दुःख देगा और तुम्हें नाश कर डालेगा ॥ २१ । तब लोगों