पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४८२

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[१ पर्च था। न्यायियो संतान यरूशलम से लदथ और उसे नेलिया था और उसे तलवार की धार से मारा और नगर को बाग से फंक दिया। हर उम के पोछ यहदाम के संतान उत्तर के उन कमश्रानियां से ना पहाड़ में और दक्षिण में और तराई में बमने य लहे। ९.। और यहूदाह ने उन कनानियों का जेहिबहन में रहते थे माना किया उन्होंने मौनी और अखिमान और तलमी को मारा हवरूम का नाम भाग करयत अरब ११। और वुह वहां से दबौर के वासियों पर चढ़ गया और दबौर का नाम प्रागे करय सफर था । १२। तब कालिब ने कहा कि जो कोई करयसिफर को मार लेगा मैं उसे अपनो कन्या अकस को बियाह देजंगा। १३ । तब कालिव के लहरे भाई कमज़ के बेटे अतनिएल ने उसे लेलिया और उस ने अपनी कन्या अकस उसे विवाह दिई । १४। और ऐसा हुआ कि जाते ही उम ने उसे उभाड़ा कि पिता से एक खेत मांगे फिर वह अपने गदहे पर से उतरी तब कालिब ने उसे कहा कि तू क्या चाहती है ॥ १५ । और उस ने उसे कहा कि मुझे आशीष दीजिये क्योंकि तू ने मुझे दक्षिण दिशा की भूमि टिई, मुझे पानी के सोने भी दौजिये तय कालिब ने अपर के और नीचे के सेते उसे दिये। १६। तब मूमा के ससुर कैनो के वंश यहूदाह के संतान के साथ खजुरा के नगर में से यहूदाह के अरण्य को जो अराद को दक्षिण का और है चढ़ गये और उन लोगों में जा बसे। १७। और यहूदाह अपने भाई समजन के साथ गया और उन्हों ने उन कनानियों को जो सफात में रहते थे जा मारा और उसे मया नाश किया और उस नगर का नाम डरमः रक्खा ॥ १८। और यहूदा ह ने अज्ज को उस के सिवाने सहित और असकलून को उस के मित्राने सहित और अकरून को उस के सिवाने सहित ले लिया ॥ १८। और परमेश्वर यहूदाह के साथ था और उस ने पर्वत को अधिकार में किया परंतु नराई के वासियों को निकाल न सका क्योंकि उन के रथ लोहे के थे॥ २.। तब उन्हों ने मसा के कहने के समान कालिब को हबरून दिया और उस ने वहां से अनाक के तोन बेटों को दूर किया ॥ २१। और बिनयमीन के संतान यबसियों को जो यरूसलम में रहते थे दूर न किया परत यबूसी दिनयमोन के