पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४८९

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की पुस्तक । ८। और ४ प] ४८२ नफताली से अविनुश्रम के बेटे बरक को बुला भेजा और उसे कहा कि क्या परमेश्वर दूसराएल के ईश्वर ने श्राज्ञा नहीं किई कि जा और तबर पहाड़ की और लोगों को बटार और नफनाली और जबुलून के संतान में से दस सहस्र जन अपने साथ ले ॥ ७॥ और मैं कसून की नदी पर यबीन की सेना का प्रधान सोसरा को उस के रथ और उम को मंडली समेत तेरी ओर वटारूंगा और उसे तेरे हाथ में कर देऊंगा। वरक ने उसे कहा कि यदि तु मेरे साथ जायेगी तो मैं जाऊंगा परंतु यदि तू मेरे साथ न जायेगी तो मैं न जाऊंगा॥ । तब वुह बोली कि निश्चय मैं तेरे साथ चलंगी तथापि जो यात्रा करता है सो तेरी प्रतिष्ठा के लिये न होगी क्योंकि परमेश्वर सौमरा को एक स्त्री के हाथ में सौंपेगा तव दबूरः उठी और बरक के साथ कादि स को गई । १०। और बरक ने जवुलन और नफताली को कादिस में बुलाया और बुह दम सहस्र जन अपने साथ लेके चढ़ा और दबूरः भी उस के साथ साथ चढ़ गई। १९ । अव हिब्र कैनी ने जो मूसा के ससर हावाब के बंश में का था कैनियों से श्राप को अलग किया और अपना डेरा जअनन्नौम में कादिस के लग बलूत के वृक्ष के पास जो है खड़ा किया। १२। तब सोमरा को संदेश पहुंचा कि अविनुअम का बेटा बरक पहाड़ तबूर पर चढ़ गया। १३ । तब सौसरा ने अपने समस्त रथ अचात् लोहे के नौ सौ रय और अपने साथ के मारे लोगों को अन्यदेशियों के हरमत से बुना के व सून की नदी पर एकटे किया ॥ ९५ । नब दवरः ने बरक से कहा कि उट क्योंकि यह वुह दिन है जिम में परमेश्वर ने सौसरा को तेरे हाथ में कर दिया है क्या पर मेम्बर तेरे आगे नहीं गया तब वरक तबर पहाड़ से नीचे उतरा और हम सहस्र जन उस के पीछे पीछे॥ १५। और परमेश्वर ने सीमरा को चार समस्त रथों को और सारी सेना को बरक के आगे तलवार की धार से हरा दिया यहां लो कि मीमरा रथ पर से उतर के पांच पांच भागा॥ १६ । परंतु बरक रथों और सेनाद्यों के पीछे अन्यदेशियों के हरसत कोइम ने रगदे गया और मीमरा को मारी सेना तलवार की धार से मारी गई और एक भी न बचा। १७। तथापि सोमरा पांव पांव भाग के हिव कैनी की पत्नी याइल के तंबू में घुमा क्योंकि हसूर के राजा यदीन चौर (A. B. S.] 61