पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४९०

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४२ न्यायियों हिब्र कैनी के घर में मिलाप था। १८ । 'तव यादूल सौसरा से मिलने को निकली और उसे कहा कि हे मेरे प्रभु इधर फिरिये मेरे यहां फिर आइये मत डरिये और जब वुह उस के तंबू में पाया उस ने उसे एक ओढ़ने से ढांप दिया ॥ १४। तब उस ने उसे कहा कि मैं तेरी विनती करता हूं कि मुझे तनिक जल दीजिये क्योंकि मैं प्यासा हं से उस ने दूध का एक कुप्पा खोल के उसे पिलाया और उसे ढांप दिया ॥ २० । फिर उस ने उसे कहा कि तंबू के द्वार पर खड़ी रह और यों होगा कि जब कोई आके तुझ से पूछे और कहे कि कोई पुरुष यहां है तो कहियो कि नहीं। २१। तब हिव की पत्नी याइल ने तंब का एक कील और हथौरी हाथ में लिई और हैरले हौले उस पास जाके कौल को उस की कनपटी में ठोका और भमि में गड़ा दिया क्योकि बह थका हाके बड़ी नोंद में था से वुह मर गया॥ २२ । और देखो कि जय बरक़ सौसरा को रगेदता श्रआया तो यादल उस की भेंट को निकली और उसे कहा कि आ में तुझे उस जन को जिसे तू टूढ़ता है दिखाऊं और नब बुह भीतर प्राया तो देखता है कि सीसरा मरा पड़ा है और कील उस को कनपटी में है २३ । सो ईश्वर ने उस दिन कनान के राजा यबीन को दूसराएल के संतान के वश में किया। २४ । और दूसराएल के संतान का हाथ भाग्यमान हुआ और कनान के राजा यबौन पर प्रबल हुश्रा यह लो कि उन्हों ने कनान के राजा यबीन को नाश किया। तरह ५ पांचवा पई। व दबूरः और अविनुअम के बेटे बरकने उसी दिन में गाके कहा ॥ २। जब इसराएल में संपूर्ण निरंकुश थे जब लोगों ने मनमंता श्राप को सौप दिया परमेश्रर की स्तुति करो। ३। हे राजायो मनेो हे राज पुत्र कान धरो में ही परमेश्वर के लिये गाऊंगा मैं परमेश्वर इसराएल के ईश्वर के लिये बजाऊंगा। ४। हे परमेश्वर जब त मौर से निकला जब तू ने अदूम के चौगान से यात्रा किई तब भूमि थर्थरा उटी खर्ग टपके और मेघों से भी बुंदियां पड़ीं। ५ । पहाड़ ON