पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४९५

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को पुस्तक । प पर जिस रीति से आज्ञा किई गई थी एक वेदी बना और उस दूसरे बछड़े को लेके उस कुंज की लकड़ियों से जिसे तू काटेगा हाम की भेंट चढ़ा ॥ २७॥ तब जिदाजन ने अपने सेवकों से दस जन लिये और जैसा कि परमेश्वर ने उसे कहा था वैसा किया और इस कारण बुह अपने पिता के धराने से और उस नगर के लोगों से डरता था बुह दिन को न कर उस ने यह काम रात को किया॥ २८। और जब उस नगर के लोग बिहान को उठे तो क्या देखते हैं कि बल की वेदी दाई हुई पड़ो है और उस के पास का कुंज कटा पड़ा है और उस बेदौ पर जो बनाई गई थी दूसरा वछड़ा चढ़ाया हुया है ॥ २८ । तब उन्हों ने आपस में कहा कि बुह कान है जिस ने यह काम किया और जब उन्हों ने यत्न करके पूछा तो लोगों ने कहा कि यूास के बेटे जिदःऊन का यह काम है। ३०। तब उस नगर के लोगों ने यूाम को कहा कि अपने बेटे को निकाल ला जिसने मारा जाय इस लिये कि उस ने बल की बेदी ढाई और उस के पास के कुंज को काट डाला ॥ ३१ । तब यूआस ने उन सभी केर जो उस के साम्ने खड़े हुए थे कहा क्या तुम बअल के कारण विवाद करोगे और तुम उसे बचायोगे जो कोई उस के लिये विवाद करे सो बिहान होते ही मारा जाय यदि बुह देव है तो श्राप ही अपने लिये विवाद करे क्योंकि उस ने उस की बेदी ढाह दिई॥ ३२। इस लिये उस ने उस दिन से उस का नाम यरुब्बाल रकवा और कहा कि वल अपना विवाद उनसे करे इस लिये कि उस ने उस की बेदी ढाह दिई। ३३ । तब सारे मिदयानी और अमालीकी और पूर्वी बंश एकटे हुए और पार उतर के यजरअरेन को तराई में डेरे खड़े किये ॥ ३४ । परंतु परमेश्वर का अात्मा जिदःयून पर उतरा से उस ने नरसिंगा फूंका और अबिअजर के लोग उस के पीछे एकटे हुए ॥ ३५ । फिर उस ने सारे मुनस्सी में दूत भेजे सो वे भी उस के पीछे एकटे हुए और उस ने यसर के और जवूलन के और नफ़ताली के पास दृत भेजे सो वे भी उन की भेंट करने को पाये ॥ ३६ । तब जिदःजन ने ईश्वर से कहा कि यदि अपने कहने के ममान तू इसराएल को मेरे हाथ से निस्तार देगा॥ ३७। तो देख