पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४९६

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४८८ न्याग्रियों ७ पर्च में ऊन का एक गुच्छा खलिहान में रखता हं यदि ओरस केवल गुच्छे ही पर पड़े और समस्त पाचवी ठखौ रहे ते मैं निश्चय जानंगा कि तू अपने कहेके समान दूसराएल को मेरे हाथों से निस्तार देगा॥ ३८ और यो हुथा कि बुह प्रातःकाल उठा और उस ने उस गुच्छे को बटोरा और लम् में की आस एक कटोरा भरके निकली। ८। तव जिटःऊन ने ईश्वर से कहा कि मेरा क्रोध मुभा पर न भड़के में एक ही बार और कहंगा मैं तेरी विनती करताहं कि इसी गुच्छे पर एक बार और तेरी परीचा कारूं सेा अमकी केवरा गच्या खा रहे और समस्त भूनी पर ओस पड़े॥ ४० । से इंकार ने उनी राज ऐसा किया कि गुच्छा नेर सूखा था और केवल सारी भूमि पर योस थी। ७ मानवां पर्च ब यरुब्बाल जो जिहाजन है सारे लोग महिल जो उस के साथ थे मिट्यानियों की सेना उन के उत्तर नंगारिक के पहाड़ पास तराई में थी। २। तब परमेश्वर ने जिदान को कहा कि मिट्यानियों को तेरे बए में कर देने को लोग अति बहन हैं ऐसा न हो कि दूसराएल मेरे साम्ने अहंकार करके कहे कि मेरे ही हाथ ने मुझे बचाया। ३1 सोन अब जाके लेागों के कान में प्रचार करके कह कि जो काई डरपुकना हो और भय रखता हो से जिलिद पहाड़ से तड़के फिर जाय सो उन लोगों में से बाई म सहस्र फिर गये और दस महत रहि गये।४। और परमेश्वर ने जिदःजन से कहा कि तथापि अभी लोग बहुत हैं न उन्हें पानी पर उतार ला और वहां मैं उन्हें तेरे लिये उन की परीक्षा करूंगा और ऐसा होगा कि जिम के विषय में मैं तुझे कहंगा कि वह तेरे साथ जावे वहीं तेरे साथ जायेगा और हर एक जिस के विषय में मैं कहां कि यह तेरे साथ न जाये से न जायगा॥ ५ । सेा बुह उन लोगों को पानी पर उतार लाया और परमेम्बर ने जिदासन से कहा कि जो कोई पानी को कूकर की नाई चपड़ चपड़ पीथे तू उन में से हर एक को अलग रख और हर एक जो अपने घुटनों पर झक के पीये उन्हें भी॥ ६ । से