पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५००

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४९२ न्यायियों और जलमूनः जिन के विषय में तुम ने यह कहके मुझे औलहना दिया कि क्या जिबह और जलमून अब तेरे हाथ में हैं कि हम तेरे य के हुए लोगों को रोटियां देवें॥ १६। तब उस ने नगर के प्राचीनों को और बन के कांटों को और अंट कटारों को लिया और उन से सुक्कातियों को जनाया ॥ १७॥ और मनुएल का गढ़ ढा दिया और नगर के बासियों को मार डाला। १८। फिर उस ने जिबह और जलमूनः को कहा कि वे लोग कैसे थे जिन्हें तम ने तबर में घात किया और वे बोले कि तेरे ममान हर एक राजपब के डौल था। १। तब उस ने कहा कि वे मेरे सगे भाई थे जोवते परमेश्वर की किरिया है यदि तुम उन्हें जीता छोड़ते तो मैं भी तुम्हें न मारमा॥ २० । फिर उस ने अपने पहिलेठे वित्र को आज्ञा किई कि उठ उन्हें बधन कर परंतु उस तरुण ने अपनी तलवार न खींची क्योंकि बुह डरता था इस कारण कि अब ले तरुण था॥ २१। तब जिबह और जलमूनः ने कहा कि तू उठ के हमें घात कर क्योंकि जैसा मनुष्य तैसा उसका बल से जिदःजन ने उठ के जिवह और जलमूनः को मार डाला और वे प्राभूषण जो उन के ऊंटों के गले में थे ले लिये । २२। तब दूसराएल के मनुष्यों ने जिद जन से कहा कि तू हम पर राज्य कर और तेरा बेरा और तेरा पोता भी हम पर राज्य करे क्योंकि तू ने हमें मिद यान के हाथों से छुड़ाया॥ २३ । तब जिदाजन ने उन्हें कहा कि मैं तुम पर प्रभुना न करूंगा और न मेरा बेटा परमेश्वर तुम पर प्रभुता करेगा॥ २४ । और जिदःजन ने उन्हें से एक बात चाहता हूं हर एक मनुष्य तुम्में से अपनी लूट का करनफूल मुभो देवे क्योंकि [ वे सोने के करनफूल रखते थे इस कारण कि वे इसमअरेलो थे ] ॥ २५ । और उन्हों ने उत्तर दिया कि हम मनमला देंगे तब उन्हें ने बस्न बिछाया और हर एक ने अपनी लूट के धन से करनफल उस पर डाल दिये ॥ २६ । सेो वे सोने के करन फूल जो उस ने मांगे ताल में एक सहस्र सान मा शैकल सोने के थे गहना और पट्ठा और लाल वस्त्र जो मियानी राजा पहिनते थे और ऊंटो के गले की सौकरों से अधिक थे ॥ २७। तब जिदःजन ने उस का एक अफू द बनाया और उसे अपने नगर जफरः में रकबा और वहां सारे दूसराएल के संतान उस के कहा कि मैं