पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५०१

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। पुस्तक पौके कुकर्मी हुए और जिदःजन और उस के घर के लिये फंदा हुआ। और मिदयानी इम रीति से इसराएल के संतान के वश में हुए कि सिर फिर न उठा सके और जिद :जन के समय में चालीस बरस लो देश में चैन रहा ॥ २६ । चौर यूवास का बेटा यरुवाल अपने घर को फिर गया ॥ ३० । और जिदःऊन के सत्तर निज पुत्र थे क्योंकि उस की पत्नियां बहुत थीं ॥ ३१ । और उम की एक दासी भी जो सिकम में थी उसो एक बेटा जनी और उम ने उस का नाम अविमलिक रक्खा ॥ ३२ । और यूआस का वेटा जिला जन अच्छा पुरनिया होके मर गया और अपने पिता यूग्राम की समाधि में अविनज़र के जफरः में गाड़ा गया ॥ ३३ । और ऐसा हुआ कि जिदःजन के मरते ही मराएल के संतान फिर गये और बअलीम के पीछे कुकर्मो हुए और बअलवरीत को अपना देव बनाया ॥ ३४। और इमराएल के संतान ने तो परमेश्वर अपने ईश्वर को जिस ने उन्हें हर एक घर से उन के शत्रुन के हाथ से बचाया था स्मरण न किया। ३५ । और उन्हों ने यरुब्बअल जिदःऊन के घर पर जैसा उस ने इसराएल से भलाई किई वैसा उन्हें ने अनुयह न किया । १ नवा पर्व अग ब यरुम्बअल का बेटा अविमलिक अपने मामूओं के पास सिकम को गया और उन से और अपने नाना के समस्त घराने से कहा । । कि सिकम के सारे लोगों को कहा कि तुम्हारे लिये क्या भला है कि यसव्वल के सब सत्तर बेटे तुम पर राज्य करें अथवा कि एक ही राज्य करे और यह भी चेत रकतो कि मैं तुम्हारी हड्डी और तुम्हारा मांस हं ।। ३। और उस के मामओं ने भी उसी के लिये सिकम के लोगों से बहुत कुछ कहा यहां से कि उन के मन अबिमलिक की ओर झुके क्योंकि वे बोले कि यह हमारा भाई है। ४। और उन्हों ने बअलबरीत के मंदिर में से सत्तर टुकड़ा चांदी उसे दिई, जिन से अबिमलिक ने तुच्छ और नौच लोगों को अपनी छोर किया ॥ ५। और वुह जफरः में अपने पिता के घर गया और उम ने यरुब अल के बेटे अपने सत्तर भाइयों को एक पत्थर