पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५०२

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न्यायियों [ पर्व ७। और पर मार डाला नथापि यसलचल का सब से छोटा बेटा यताम बच रहा क्योंकि उस ने श्राप को छिपाया ॥ ६ । तब सिकम के सारे लोग और मिलो के सारे बासी एकटे हुए और गये और बलूत के खंभे के निकट जो सिकम में था पहंच के अबिमलिक को राजा किया। जब यूनाम ने यह सुना तो घुह गया और जरिजीम पहाड़ की चोटी पर चढ़ के खड़ा हुश्रा और अपने शब्द से पुकारा और उन्हें कहा कि के मिकम के लोगो मेरी मुनो जिसने ईश्वर तुम्हारी सुने । ८। क्ष निकले कि किसी को राज्याभिषेक करें सो उन्हों ने जाके जलपाई वृक्ष से कहा कि तू हम पर राज्य कर॥ । परंतु जलपाई वृक्ष ने उन से कहा कि मैं अपनी चिकनाई को जिससे ये परमेश्वर को और मनुष्य को प्रतिष्ठा देते हैं छोड़ देऊं और जाके वृक्षों पर बढ़ाया जा ॥ १.। तब हक्षों गुलर कक्ष से कहा कि नू आ और हम पर राज्य कर॥ ११॥ और गूलर वृक्ष ने उन्हें कहा कि क्या मैं अपनी मिठाई और सुफल छोड़ के वृक्षों पर बढ़ाया जाऊं ॥ १२। तब छहों ने दाख से कहा कि चल हम पर राज्य कर ॥ १३। और दाख ने उन्हें कहा कि क्या मैं अपनी मदिरा जिस्से ईश्वर और मनुष्य आनंद होते हैं छोड़ के जाऊ और वहां पर बढ़ावा जाऊं। १४। तब सब वृक्षों ने भटकटैया से कहा कि तू अाके हम पर राज्य कर॥ १५ । और भट- कटैया ने वृक्षों से कहा कि यदि सच मुच मुझे अपने ऊपर राज्या- भिषेक करते हो तो आओ मेरी छाया में शरण लेनी और यदि नहीं तो भटकटैया मे एक भाग निकलेगी और लुबनान के आरज वृक्ष को जलावेगी। १६। सो अब यदि सच्चाई और निष्कपट से तुम अत्रिमलिक को अपना राजा किया और यदि यसब्बअल से और उस के घर से अच्छा ब्यवहार किया और यदि उसे उस उपकार के समान जो उस के हाथों ने किया है पलटा दिया॥ १७॥ [ क्योंकि मेरा पिता तुम्हारे कारण लड़ा और अपने प्राण को धर दिया और तुम्हें मिट्यान के हाथों से छुड़ाया ॥ १८। और तुम आज मेरे पिता के घर पर उठे हो और उस के सत्तर बेटों को एक पत्थर पर मार डाला और उस को दासी के पुत्र अबिमलिक को सिकम के लोगों पर राजा किया इस कारण