पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५०३

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प कौ पुस्तक। ४४५ कि बुह तुम्हारा भाई है ] ॥ १६ । से यदि तुम ने सच्चाई और निष्कपट से यरुचअल और उम के घर के साथ आज यह व्यवहार किया है तो तुम भी अबिमलिक से अानंद रहा और युह तुम से अानंद रहे॥ २० । परंतु यदि नहीं तो श्रविमलिक से भाग निकले और सिकम के लेागों को और मिल्ला के घर को भरा करे और मिकम के लोग और मिला के घर में से भी एक भाग निकले और अबिमलिक को भस्म करे॥ २१। तब यूताम भाग के चला गया और अपने भाई अविमलिक के डरके मारे तीर में जाके रहा। २२। जब अबिमलिक ने इसराएल पर तीन वरस राज्य किया। २३। तब ईश्वर ने अबिमलिक और सिकमियों के मध्य दुष्टात्मा भेजा और सिकम के लोगों ने अविमलिक से छान किया॥ २४ ॥ जिमने युह कठोरता जो यसब्बल के सत्तर बेटों के साथ किया था आवे और उन का लोह उन के भाई अविमलिक के सिर पर जिस ने उन्हें मार डाला और सिकमियों के सिर पर पड़े जो उस के भाइयों के मारने में सामी हुए। २५। तब सिकम के लोगों ने रस के लिये पहाड़ों की चोटियों पर पान में लोगों को बैठाया और जो उस मार्ग से आ निकलने ये ये उन्हें लूटते थे और अबिमलिक को संदेश पहुंचा। २६। तब अबद का बेटा जल अपने भाइयों समेत अाया और सिकम को गया और सिकम के लोगों ने उस पर भरोसा रक्खा ॥ २७। और वे खेतों में निकले और अपने दाख के खेतों को लताड़ा और रौदा और अानंद किया और अपने देवतों के मंदिर में घुसे और खाया पीया और अविमलिक को धिक्कारा॥ २८। तब अबद के बेटे जअल ने कहा कि अबिलिक कौन और सिकम क्या है कि हम उस की सेवा करें क्या यसबबल का बेटा नहीं और क्या ज़बूल उस का अध्यक्ष नहीं तुम सिकम के पिता हमर के लोगों की सेवा करो हम उस की सेवा क्यों करें। २८ । हाय कि लोग मेरे वश में होते में अबिमलिक को अलग कर देता तब उम ने अबिलिक से कहा कि लू अपने कटक बढ़ा और निकल था। और जय नगर के अध्यक्ष जयल ने अबद के बेटे की ये बातें सुनी नो उम का क्रोध भड़का। ३१ । और उस ने चतुराई से अविमलिक के पास टूत भेज के कहा कि देख अबद का बेटा जल अपने भाइयों