पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५०४

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[( पर्छ उस ३५ । और न्यायियों समेत सिकम में आया और देख वे तेरे विरोध में नगर को दृढ करते हैं।। ३२ । इस लिये तु अपने लोगों सहित रात को उठ और खेत में घात में बैठ॥ ३३ । और बिहान को ज्यों ही सूर्य उदय हो त्यों हो नगर पर चढ़ जा और नगर से लड़ और देखो जब वुह के लोग तेरे पास निकल शाब नब जो हाथ से हो सके से करियो । ३४। तब अविमलिक अपने सारे लोग सहित रात ही को उठा और चार जथा करके सिक्रम के सामने बात में बैठा ॥ अबद का बेटा जअल बाहर निकला और नगर के फाटक की पैठ पर खड़ा हुआ और अबिमालक अपने लोगों सहित ढूंके से उठा । ३६ । और जब जअल ने लेगों को देखा तो उस ने जबूल से कहा कि देख पहाड़ की चोटी पर से लोग उतरने हैं तब ज़बूल ने उसे कहा कि तू पहाड़ की छाया को मनुष्य की नाई देखता है ॥ ३७। तब जल फिर कहके बोला कि देखा लोग खेत के मध्य से निकले आते हैं और एक जथा मिनौनम के चौगान से अाती है ॥ ३८ । तब जबल ने उम्मे कहा कि अब तेरा वुह मह कहां है जिसो तू ने कहा कि अबिमलिक कौन जो हम उस की सेवा करें क्या ये वे लोग नहीं जिस को लू ने निंदा किई सो अब बाहर जाइये और उन से युद्ध कीजिये ॥ ३८ । तब जअल सिमियों के साम्ने बाहर निकला और अविमलिक से युद्ध और अविमलिक ने उसे खदेड़ा और बुह उस के साम्ने से भाग निकला और फाटक के पैट लो आने बहुतेरे जूझ गये और बहुतेरे घायल हुए। ४१ । और अबिमलिक ने अहमः में बास किया और जमूल ने जअल को और उस के भाइयों को खदेड़ दिया कि वे सिकम में न रहें । ४२। और बिहान को ऐसा हुआ कि लोग निकलके खेत में गय और अबिमलिक को संदेश पहुंचा।।१३। और उस ने लोगों को लेके उन की तीन जथा विभाग किया और चौगान में हं के में बैठा और क्या देखता है कि लोग नगर से निकले उस ने उन का सामना किया और उन्हें मार लिया। ।४। और अबिमलिक अपने साथ की जया समेत आगे बढ़ा और नगर के फाटकों की पैठ में जाके खड़ा हुश्रा और दे. जथा उन लोगों पर आ पड़ी जो खेत में थी और उन्हें काट डाला॥ ४५ ॥ किया। ४०।