पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५०७

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११ पञ्च] को पुस्तक । ४ और उपरी देवता की सेवा किई इस लिये अब मैं तुम्हें न छुड़ाऊंगा । १४। तुम | जाद्या और जिन देवों को तुम ने चुना है उन को दोहाई देशो कि वे तुम्हें कष्ट से कुड़ावें ॥ १५॥ फिर इसराएल के संतानों ने परमेश्वर से कहा कि हम ने तो पाप किया से जो तेरी दृष्टि में अच्छा जान पड़े सेो हम से कर हम तेरी बिनती करने हैं केवल अबकी हमें छुड़ा। १६ । और उन्हों ने परदेशियों के देवता को अपने में से किया और परमेश्वर की सेवा करने लगे तब उस का जीव इसराएल की बिपत्ति के लिये सकेती में पड़ा। १७१ नब अम्भन के संतान एकट्टे बुन्नाए हुए और जिलिअद में छावनी किई और इसराएल के संतान एकटे हुए और मिसफः में छावनी किई। १। तब जिलिअद के अध्यक्षों और लोगों ने कौन जन है जो अम्मून के मंतान से युद्ध आंरभ करेगा वही जिनिअद के बामियों का प्रधान आपुस में कहा कि होगा। ११ म्यारहवांप ॥ -ब जिलि अटी इफताह एक महावीर था जो गणिका स्त्री का देश था और जिलिअद से इफताह उत्पन्न हुआ ॥ २। और जिलि अद की पत्नी उसे बेटे जनी और उसकी पत्नी के बेटे अब सथाने हुए तब उन्हों ने इफताह को निकाल दिया और उसे कहा कि हमारे पिता के घर में तेरा अधिकार नहीं इस लिए कि तू उपरी स्त्री का लड़का है। ३। तब इफताह अपने भाई के आगे से भागा और तब के देश मे जा रहा और उस के पास बहुत से तुच्छ लोग एकट्टे हुए और वे उस के साथ पाया जाया करते थे। ४। और कितने दिनों के पीछे अम्मून के सन्तान ने दूसराएल से सड़ाई किई ॥ ५। और ऐमा हुआ कि जब अन्भून के मंतान ने दूसरा- एल से लड़ाई किई तब जिनिअद के प्राचीन निकले कि इफ़्ताह को तव के देश से ले अावें ॥ ६ ! और उन्हों ने इफताह को कहा कि प्रा और हमारा प्रधान हो जिसने हम अम्मून के संतानों से संग्राम करें॥ तब इफताह ने जिलिअद के संतानों से कहा कि क्या तम ने मझ से बैर करके