पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५०८

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[११ पचे न्यायियों मेरे पिता के घर से निकाल नहीं दिया सेर अब जो तुम बिपत्ति में पड़े तो मुझ पास क्यों आए हो॥ ८। और जिलिअद के प्राचीनों ने इफताह को कहा कि अब हम इस लिये तेरे पास फिर पाए कि तू हमारे साथ चल के अम्मन के संतान से संग्राम करे और हमारा और जिलिअद के सारे वासियों का प्रधान हेावे॥ 1 और इफ़नाह ने जिलि अन्द के प्राचौनों से कहा कि यदि अम्मन के संतान से लड़ाई करने के लिए तुम मुझे वर फेर लिये चलते हो और परमेश्वर उन्हें मेरे आगे मैपि देवे तो क्या मैं तुम्हारा प्रधान होऊंगा॥ १० । तब जिलिद के प्राचीन ने इफताह का उत्तर दिया कि परमेश्वर हमारे मध्य में सुनवैया होवे यदि हम तेरे कहने के समान न करें। ११ । तब इफताह जिलि अद के प्राचीनों के साथ चला गया और लोगों ने उसे अपना प्रधान और अध्यक्ष किया और इफताह ने मिसफर में परमेश्वर के आगे अपनी सारी बातें उच्चारण किई। १२ । और इफताह ने अम्मन के संतान के राजा पाम यह कह के दून भेजे कि तुझे मुझ से क्या काम जो तू मुझ पर मेरे देश में युद्ध करने को चढ़ आया है॥ १३। पर अम्मून के संतान के राजा ने इफ़नाह के दूतों को कहा इस लिए कि जब दूसराएल मिन से निकल आए तब उन्हों ने मेरे देश को आनन से लेके यबूक और परदन ले लिया से अब कुशल से उन्हें फेर दे। १४ । तब इफताह ने दूतों को फेर अम्मन के संतान के राजा भेजा १५ । और उसे कहा कि इफताह वह कहता है इमराएल ने गोअब का देश और अम्मून के संतान का देश नहीं लिया ॥ २६ । परन्तु जब दूसराएल मिस से चढ़ आए और अरण्य से होके लाल समुद्र और कादिस में चले पाए । १७। नब इसराएलियों ने अदम के राजा को दूतों से यह कहा भेजा कि हमें अपने देश में से जाने दीजिए परंतु अटूम के राजा ने उन की न सुनी और उसी रीति से उन्हों ने मोअब के राजा को कहा भेजा परंतु उस ने भी न माना और इसराएल कादिस में ठहरे रहे। १८। तब वे अरण्य में होके चले गए और अटूम के देश और मोअब देश से चार खाके मानव की पूर्व और से आए और अन न के पल और बेरा खड़ा किया पर मोअब के मिषानों में प्रवेश न किया क्योंकि अन्न माअब का सिंघाना था। १६। तब इमराएलियों ने पास n