पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५११

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१२ प4] कौ पुस्तक। ५. देगे॥ २ । इफताह ने उन्हें उत्तर दिया कि मैं और मेरे लोग अम्मन के संतान से बड़ी झगड़ा रखते थे और जब में ने तुम्हें बुलाया तुम ने उन के हाथ से मुझे न छ। ड़ाया ॥ ३। और जब मैं ने देखा कि तुम ने मुझे न छोड़ाया तब मैं ने अपना प्राण हाथ पर रकबा और पार उतर के अम्मून के संतान का साम्ना किया और परमेश्वर ने उन्हें मेरे हाथ में सौप दिया से तुम आज के दिन किस लिये मुझ पर लड़ने को चढ़ आए तब इफताह ने सारे जिलिदियों को एकट्ठा करके दूफरायमियों में से लड़ाई किई और जिलिदियों ने इफरायमियों को मार लिया क्योंकि वे कहते थे कि जिलिअटी इफरायमियों में और मुनस्सी में इफरायमियों के भगोड़े हैं॥ ५। और जिलिअदी ने इफरा- यमियों के आगे यरदन के घाटों को ले लिया और ऐसा हुआ कि जब इफरायमी भागे हुए आए और बोले कि मुझे पार जाने दे नब जिलिअ- दो उसे कहते थे कि त इफरायमी है यदि उस ने नाह किया ॥ है। तब उन्हों ने उसे कहा कि शबूलीस कहो और उस ने सबूलीस कहा दूम लिये कि वुह ठीक उच्चारण कर न सता था तब वे उसे पकड़के यरदन के घाटों पर मार डालते थे से उस समय वहां बयालीम सहस्र इफरायमी मारे गए।७। और इफताह ने छःबरस ने दूसरारत का न्याय किया उस के पीछे जिलिअदी इफताह मर गया और जिलि अद की बस्तियों में गाड़ा गया। ८। उस के पीछे बैतलहम का दूबसान इसराएन का न्यायौ हुअा।। उस के तीस नो बेटे थे और तीम बेटियां और उम ने बेटों को बाहर भेजके उन के लिये तीस बेटियां मंगवाई उस ने सात बरस इमराएल का न्याय किया। १०। तब दूबसान मर गया और बैनलहम में गाड़ा गया ॥ १९ । उस के पीछे जबुलूनी येलू न दूसराएल का न्यायो हुआ और उस ने दम बरस इसराएल का न्याय किया। १२। और जबलूनी झैलून मर गया और येयलून में जब सून के देश में गाड़ा गया। १३ । उम के पीछे हलौत का बेटा अबढून एक परतूनी दूसराएल का न्यायी हुना। १४ । उस के चालीम बेरे और तीस पाते थे जो सत्तर गदहां के बछेड़ों पर चढ़ा करते थे और आठ बरस उस ने इमराएल का न्याय किया। १५। और हलोल का बेटा परअनूनी