पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५१५

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१५ पद बुलाया है को पुस्तक। निश्चय उस का अर्थ मुझे बतलाओगे और उस का भेद पाओगे तो मैं तीस ओढ़ना और तीस जोड़े बस्त्र तुम्ह देऊंगा॥ १३ 1 परंतु यदि तुम न बता सकोगे तो तुम तीम ओढ़ना और तौस जोड़े बस्त्र मुझे देोगे सो वे बोले कि अपनी पहेलो कह कि हम सुनें ॥ १४। तब उस ने उन्हें कहा कि भक्षक में से भक्ष्य निकला और बस्ती में से मिठास और वे तीन दिन लो उस पहेली का अर्थ न बता सके। १५ । और यां हुया कि सातवें दिन उन्हों ने शम्सून की स्त्री से कहा कि अपने पति को फुसला कि वह इस पहेली का अर्थ हमें बतावे नहीं तो हम नेरा और तेरे पिता का घर श्राग से जला देंगे क्या तुम ने हमें कि नहीं कि हमारा प्राधिकार लेग्रो॥ १६। तब शासन की पत्नी उस के आगे बिलाप करके बोली कि तू मझ से बैर रखता है और मुझे प्यार नहीं करता तू ने मेरे लोगों के संतानों से एक पहेली कही और मुझे न बतलाई और उसने उसे कहा कि मैं ने अपने माता पिता को नहीं बताया से क्या तुझे बताऊं ॥ १७। और बुह उस के आगे उन के जेवनार के सात दिन लो रोया किई और मातब दिन ऐसा हुआ कि उम ने उसे बता दिया क्योंकि उस ने उसे निपट सताया और उस ने उस पहेली का अर्थ अपने लोगों के संतानों से कहा ॥ १८। और उस नगर के मनुष्यों ने सातवें दिन सूर्य के अस्त होने से पहिले उम्मे कहा कि मधु से मोटा क्या है और सिंह से बलवान कौन तब उस ने उन्हें कहा कि यदि तुम मेरी कलार से न जोते तो मेरी पहेलो का भेद न पावते फिर परमेश्वर का आत्मा उस पर पड़ा और वुह अशकलन को गया और उन में से तौस मनुष्यों को मार डाला और उन के वस्त्र लिये और उन्हें जोड़ा जोड़ा बस्न दिये जिन्हों ने पहेली का अर्थ कहा था से उत्त का क्रोध भड़का और अपने पिता के घर 'चढ़ गया ॥ २० । परंतु शम्मून की पत्नी उस के संगी को जिसे वुह मिव जानता था दिई गई। १५ पंदरहयां पर्च। पर कितने दिन पीछे गोहू को करनी के समय में ऐसा हुया कि शम्सून एक मेम्बा लेके अपनी पत्नी की भेंट हो गया और कहा ॥ ओ