पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५१८

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न्यायियों चोटो पर जो हवरून के आगे है ले गया । ४। और बहुत दिन के पीछे ऐसा हुआ कि उम ने सूरेक को तराई में एक स्त्री से प्रीति कोई जिस का नाम दलोनः था। ५। और फिलिमतियों के प्रधान उम पास चढ़ गये और उसे कहा कि उसे फुसला और देख कि उस का महा बल कहां है और किस रीति से हम उसे बश में करें जिमतें हम उसे बांध के वश में करें और हर एक हम में से ग्यारह ग्यारह सौ टुकड़े चांदी नुझे देगा। ६। और दलीतः ने शमन्टन से कहा कि मुझे बता कि तेरा महा वन किम में है और किस्मे तु बांधा जाय कि तुझे बश में करें ॥ ७॥ और शम्मन ने उसे कहा कि यदि वे मुझे सात आदी डोरियों से जो कभी झूरी न हुई हों वांधे तब मैं निर्बल हो जाऊंगा और दूसरे मनुष्य की नाई हो जाऊंगा ।। ८ । नब फिलिमतियों के प्रधान उस पास सात दौ डोरी नाये जो कभी न सूखी थीं और उस ने उन से उसे बांधा॥ हा और घातबाले उम के संग कोठरौ के भीतर ढ़के में थे और वह उस्मे वाली हे शम्सून फिलिमत्तौ तुझ पर पड़े तब उस ने उन डोरियों को सनके सून की नाई जो आग में लग जाय तोड़ा सेो उस का बल जाना न गवा । १. । तब दलौल ने शम्सून से कहा कि देख तु ने मझे चिड़ाया और भूठ बोला अब मुझे बता कि तू किरसे बांधा जाय ॥ ११। और उस ने उसे कहा कि यदि वे मुझे नई रस्सियों से जो कभी काम में न आई हो कस के बांधे तब मैं निर्बल होके दूसरे मनुष्य को नाई. हो जाऊंगा। १२ । इस लिये दलील: ने उसे नई रस्सियों से बांधा और बोली कि हे शम्सन फिलिस्ती तुझ पर आये और धातवाले कोठरी में बैठे थे से उस ने अपनी भुजायों से उन्हें तागे की नाई. तोड़ डाला। १३। फिर दलीलः ने शासन से कहा कि अब लां ने मुझे चिड़ाया और झूठ बोला मुझे बता कि तू किस्से बांधा जाय तब उस ने उसे कहा कि यदि तू मेरी सात जटा ताने में बिने। १४ । नब उम ने खूटे से उन्हें कमा और बोली कि हे शम्सन फिलिसती तुझ पर आ पड़े और बुह नींद से जागा और बुन्ने के खूटे को ताने के साथ लेके चला गया ॥ १५ । फिर उम ने उसे कहा कि क्योंकर तू कहना है कि मैं तुझ से प्रौति रखता हूं श्रब लेा तेरा मन मुझ से नहीं लगा तू ने यह तीन