पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५१९

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२६ पब्बे की पुस्तक । बार मुझे चिड़ाया और मुझे नहीं बताया कि तेरा महाबन किस में है। १६ । और ऐसा हुआ जब उस ने उसे प्रति दिन बातों से दबाया और उसे उसकाया किई यहां लो कि वुह जीवन से उदास हुआ। १७ तब लम ने अपने मन का सारा भेद खोलके कहा कि मेरे सिर पर कुरा नहीं फिरा कांकि मैं अपनी माता के गर्भ में से ईशर के लिये नासरी हूँ यदि मेरा सिर मुड़ाया जाय तब मेरा बल मुझ से जाता रहेगा और मैं निर्बल होके और मनुष्य की नाई हो जाऊंगा। १८। और जब दलीलः ने देखा कि उस ने अब अपने सारे मन का भेद कह दिया तब उस ने फिलिमतियों के प्रधानों को यह कहके बुलवाया कि एक बार फेर प्राओ क्योंकि उस ने अपने मन का सारा भेद मुझ पर पगट किया नब फिलिमनियों के प्रधान उस पर चढ़ आये और रोकड़ अपने हाथ में लाये॥ १६। और उस ने उसे अपने घुटनों पर सेोला रक्खा और एक जन को बुलवाके सात जटा जो उस के सिर पर थौं मुड़वाई और उसे सताने लगी और उस का बल जाता रहा॥ २० । और बुह बोली कि हे शम्भून फिलिमती तुझा पर आये तब बुह नौंद से जागा और कहा कि मैं आगे की नाई बाहर जाऊंगा और आप को बल से हिलाजंगा परंतु बुह न जानता था कि परमेश्वर उसे छोड़ गया। २१। तब फिलिसलियों ने उसे पकड़ा और उस की आंखें निकाल डाली और उसे अज्जः में उतार लाये और पीतल की मौकरों से उसे जकड़ा और चुह बंदीगृह में पड़ा चको पीसता था। २२ । तथापि सिर मुड़ाने के पीछे उम के बाल फेर बढ़ने लगे। २३ । और फिलिमतियों के प्रधान एकट्टे हुए कि अपने देव जून के लिये बड़ा बलिदान चढ़ावें और आनंद करें क्योंकि उन्हों ने कहा कि हमारे देव ने हमारे वैरी शम्सून को हमारे बश में कर दिया ॥ २४ । और जब लोगों ने उसे देखा तब उन्हों ने अपने देव की स्तुति किई क्योंकि उन्होंने कहा कि हमारे देव ने हमारे बैरी को जिम ने हमारा देश उजाड़ा और हमारे बहुत से लोगों को नाश किया हमारे हाथ में मप दिया। २५। चौर एमा हुया कि जब वे मगन है। रहे थे तब उन्हों ने कहा कि शम्भून को बनायो कि हमारे आगे नीला करे सो उन्हों ने उसे इंटीगृह से बुलवाया और वुह उन के