पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५२१

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१८ प कौ पुस्तक । ५१३ की माता ने दो मो चांदी लेके सोनार को दिया उस ने एक खादी हुई और एक ठरली हुई मूर्ति बनाई और वे दोनों मौका के घर में थौं । ५। और मौका के देवता का एक मंदिर था और एक अफुद और तराफीम बनाया और अपने बेटों में से एक को पवित्र किया था जो उस के लिये परोहित हुआ। ६। उन दिनों में इसराएल में कोई राजा न था जिस को जो ठीक सूझ पड़ता था सेर करता था। ७। और यहूदाह के घराने का बैनल हम यहूदाह में का एक तरुण लावी था जो वहां आ रहा था ॥ । और वुह मनुष्य नगर में से यहदाह के बैतस हम से निकला कि अते बास करे और बह चलते चलने इफरायम पहाड़ को मौका के घर पहुंचा। । तब मीका ने उसे कहा कि त कहां से आता है और उस ने उसे कहा कि में बैतलहम यहूदाह में का एक लाबी हं और जाता है कि जहां कहौं ठिकाना होवे तहां रह ॥ १०। और मौका ने उसे कहा कि मेरे साथ रह और मेरे लिये पिता और पुरोहित हा मैं तुझे वरस बरस दस टुकड़े चांदी और एक जोड़ा बस्त्र और भाजन देऊंगा मालाची भीतर गया । ११। और वुह लावी उस मनुष्य के साथ रहने पर प्रसन्न डा और वुह तरुण उस के एक वेटों के समान हुया॥ १२। और मौका ने उस लावी को ठहराया और वुह तरुण उस का पुरोहित बना और मौका के घर में रहने लगा॥ १३। तब मौका ने कहा कि मैं जानता हूं कि अय परमेश्वर मेरा भला करेगा इस कारण कि एक लाची मेरा पुरोहित हुआ। १८ अठारहवां पर्च। न दिनों में इमराएल में कोई राजा न था और उन्हीं दिनों में दान की गोष्ठौ अपने अधिकार के निवास हूं न तो थौ क्योकि उस दिन लो इमराएल की गोष्टियां में उन्हें कुछ अधिकार न मिला था। सा दान के संतान ने अपने घराने में से पांच जन अपने सिवाने और दूम ताल से भेजे कि उन के देश को देख के भेद लेब तब उन्हें ने कहा कि जाओ देश को देखा जब वे दूफगयम पहाड़ का मौका के घर [A. B.S.] ए 65