पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५२३

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२८ प4 को पुस्तक । ५१५ के हथियारबंद थे फाटक की पैठ में खड़े रहे। १७। और वे पांच जो देश के भेद को निकले थे घर के भीतर घसे और खादी हुई और ढाली हुई मूर्ति और अफूद और तराफीम लिये और वुह पुरोहित उन छः सो हथियारबंद मनुष्यों के साथ फाटक की पैठ में खड़ा था ॥ १८ ॥ और उन्हों ने मौका के घर में घुस के खेादी हुई, और ढाली हुई मूर्ति और अफूद और तराफीम उठा लिये तब पुरोहिन उन से बोला कि तम यह क्या करते हो। १६। उन्हों ने उसे कहा कि चुप रह अपने मुंह पर हाथ रख के हमारे साथ चल और हमारे लिये पिता और पुरोहित हो कौन सी वात भली है कि एक मनुष्य के वर का परोहित हो अथवा यह कि त दूसराएल के घराने की एक गोष्ठी का पुरोहित हो ॥ २० । और पुरोहित का मन मगन हुआ और उस ने अफूद और तराफीम और खादी हुई मूर्ति को उठा लिया और लोगों के मध्य में प्रवेश किया । २१ । सेो वे फिरे और चले और बालकों और ढोर और गाड़ी को अपने अागे किया ॥ २२। वे मीका के घर से बहुत दूर निकल गये थे कि मौका के घर के आस पास के बासौ एकटे हुए और दान के संतान का जाही लिया । २३। और उन्हों ने दान के संतान को लन्न कारा तब उन्हों ने मुंह फेरा और मौका से कहा कि तुझे क्या हुआ जो तू एकटे हुआ है ॥ २४ । और घुह वोला कि तुम मेरे देवों को जिन्हें में ने बनाया और मेरे पुरोहित को लेके चले गये हो अब मेरा क्या रहा और तुम कहते हो कि तेरा क्या हुआ । २५ । लम दान के संतान ने उसे कहा कि तू अपना शब्द हमें न सुना न हो कि क्रूर लोग तुझ पर लपके और तू और तेरा घराना मारा जाय ॥ २६ । और दान के संतान ने अपना मार्ग लिया और जब मौका ने देखा कि वे मुझ से बली हैं तब मुंह फेर के अपने घर को लौट आया ॥ २७। और वे मीका को बनाई हुई बस्ने उम के पुरोहित सगेत लिये हुए लैस को उन लोगों पर आये जो चैन में और नियंत थे और उन्हें तलवार को धार से मारा और नगर को जला दिया॥ २८। कोई छोड़वैया न था इस कारण कि मैदा से वह दूर था और वे किमो से व्यवहार न करते थे और वह उस तराई में था जो पैतरहुब के लग है और उन्हों ने एक नगर