पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५२६

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न्यायियों [२०पर्ब गदहा को चारा दिया उन्हो ने अपने पांव धोये और खाया पौया ॥ २२ । वे मगन हो रहे थे तब देखा कि उस नगर के लोगों ने जो बलियान के लड़के थे उस घर को घेर लिया और द्वार ठोक के उस घर के खामी अर्थात् उस वृद्ध से कहा कि उस जन को जो तेरे घर में पाया है बाहर ला जिसने हम उसो कुकर्म करें। २३ । नब उस घर का स्वामी बाहर निकला और उन्हें कहा कि नहीं भाइयों में तुम्हारी बिनती करता हूं ऐसौ दुष्टता न कीजिये देखो यह जन मेरे घर में पाया है से ऐसी मूढ़ता न कीजिये.॥ २४ । देख मैं अपनी कुंआरी बेटी और उस की दासी को बाहर ले आता हूं आप उन्हें प्रालिंगन कीजिये और इच्छा भर मन- मंता जो चाहिये से करिये परंतु उस मनुष्य से एमो दुर्गति न कीजिये । २५ । पर वे उम की बात न मानने थे से बह जन उस को दासी को उन पास बाहर ले आया उन्हों ने उसे कुकर्म किया और रात भर बिहान लो उस की दुर्दशा किई और जब दिन निकलने लगा तब उसे छोड़ गये ।। २६ । और बुह स्त्री पौ फटते ही उस पुरुष के घर के द्वार पर जहां उम् का खामौ था आके गिर पड़ी यहां लो कि उजियाला हुआ ॥ २७॥ और उम का खामी विहान को उठा और उस ने धर के द्वारों को खोला और वाहर निकला कि यात्रा करे और क्या देखता है कि उस की दासी घर के द्वार पर पड़ी है और उस के हाथ डेवड़ी पर थे ॥ २८। तब उस ने कहा कि उठा चलें पर कोई उत्तर न दिया तब उस मनुष्य उसे गदहे पर धर लिया और अपने स्थान को चल निकला ॥ २६ । उस ने घर पहुंच के क्रूरी लिई और अपनी दासी को पकड़ के हड्डियों समेत उस के बारह भाग करके टुकड़े टुकड़े काटे और दूसराएल के समस्त सिवानों में भेज दिये। ३० । और ऐसा हुआ कि जिस किसी ने देखा से बोला कि जिस दिन से इसराएल के संतान मिस्न से चढ़ आये ऐसा कर्म न हुआ न देखा गया सोचा और विचार करो और बालो। २० बीसवां पद। ब इसराएल के सारे संतान निकले और दान से लेके विअर सवालों के