पुरुष प्राया॥ ५। २. पो] की आगे मिसफः में एकट्ठी हुई ॥ २। और समस्त लोगों के अर्थात् इसराएल को समस्त गोष्ठियों के प्रधान जो ईश्वर के लोगों को सभा में आये चार लाख पगइत खङ्ग धारौ थे॥ ३। अब बिनयमौन के संतानों ने सुना कि दूसराएल के संतान मिसफः में एकटे हुए तब दूसराएल के संतानों ने कहा कि कह यह दुष्टना क्योंकर हुई । तब उस लावी ने जो मारी गई रती का पति था उत्तर दे के कहा कि मैं अपनी दासो समेत विनयमान की जिवित में रिकने को और जिबित के लोग मुझ पर चढ़ आये और घर रात को घेर लिया और चाहा कि मुझे मार ले दें और उन्हों ने मेरौ दासी पर बरबम किया कि बुह मर गई ॥ ६ । सेो में ने अपनी दासी को पकड़ के टुकड़े टुकड़े किये और उन्हें इसराएल के अधिकार के समस्त देश में भेजा क्योंकि इसराएल में उन्हों ने कुकर्म और मूढ़ता किई ॥ ७॥ देखा हे इसराएल के समस्त संतानो अब तुम ही अपना मंत्र और परामर्श देओ। ८। तब सब के सब यह कहके एक जन की नाई उठे और बोले कि हम में से कोई अपने डेरे में न जायगा और हम में से कोई अपने घर की और न फिरेगा ॥ । परंतु अब हम जिवनः से यह करेंगे कि चिट्ठी डाल के उस पर चढ़े गे॥ १० । और हम दूसराएल के संतान को हर एक गोष्ठी में से है पीके दस और सहन पीछे सौ और दस सहन पीछे एक सहन पुरुष लेंगे जिसने लोगों के लिये भोजन लावें और जिस समय कि बिमयमौन के जिबः श्रावें तब उन समस्त मूढ़ता के कारण उन से करें जो उन्हेां ने इसराएल में किई। ११ । से सारे इसराएल के लोग एक मना होके उस नगर पर एकटे हुए। १२। और इसराएल की गोष्ठियों ने बिनयमौन की ममस्त गोष्ठी में यह कहके लोग भेजे कि यह क्या दुष्टता है जो तुम्में हुई। १३॥ अब बलियाल के संतानों को जो जिबः में हैं हमें सौप देओ कि हम उन्हें मार डालें और इसराएल में से बुराई को मिटा डालें परंतु बिन समौन के मंत्रान ने अपने भाई इसराएल के संतान का कहा न माना । १४ । परंतु धिनयमोन के संतान नगरों में से जिबन में एकट्टे हुए