पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५२९

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३० । और २० पब] को पुस्तक। तब उन्हों ने पहा कि मैं अपने भाई बिनयमौन के संतान से फिर संग्राम के लिये जाऊ अथवा रहि जाऊं परमेम्बर ने कहा कि चढ़ जा क्योंकि कल मैं उन्हें तेरे हाथ में कर देऊंगा। २६ । सेो दूसरारत के संताने ने जिवअः के चारों ओर घातियों को बैठाया । इसराएल के संतान तीसरे दिन बिनयमोन के संतान के मान्ने चढ़ गये और जिबअः के मन्मुख आगे के समान फिर पाती बांधी॥ ३१॥ और विनयमीन के संतान ने उन का सामना किया और नगर से खेंचे गये और अरगे की नाई राज मागों में जा बैतऐल को जाता है और दूसरा जिबः को तीस मनुष्य के अंटकल मारते गये ॥ ३२ । और बिनयमीन के संतान ने कहा कि वे आगे की नाई हमारे आगे मारे पड़े परंतु दूसराएल के संतान ने कहा कि आरो भागे और उन्हें नगर से राज मार्गों में खींच लावें ॥ ३३। तब सारे इसराएल के लोग अपने स्थान से निकले और उस स्थान पर पांती बांधी जिस का नाम अलतमर है और दूसराएल के घालिये अपने स्थानों से जिवनः के खेत में से निकले । ३४ । और समस्त इसराएन्न में से दस सहन चुने हुए जन जिबः के सन्मुख आये और बड़ा संग्राम इत्रा पर उन्हों ने न जाना कि बिपनि अा पहुंची। ३५ । तब परमेश्वर ने बिनयमोन को इसराएल के धागे मारा और इसराएल के संतान ने उस दिन पचीस सहस्र एक सो जन बिनयमौनी मारे ये सव खड्गधारी थे। ३६ । चार बिनयमौन के संतान ने देखा कि हम मारे पड़े क्योंकि इसराएल के मनुष्य बिनयमौनी को निकाल लाये इस लिये कि वे उन पानियों के भरोसे पर थे जिन्हें उन्हों ने जिबः के अलंग बैठाया था॥ ३७। तब घातियों ने फुरती किई और जिवनः पर लपके और बढ़ गय और सारे नगर को तलवार की धार से बात किया ॥ ३८। अब इमराएन के मनुष्यों में और उन घातियों में एक पता ठहराया हुआ था कि नगर में से धूत्रों के माय बड़ी लौर निकालें ॥ ३९ । और जब इसराएल के मनुष्य संग्राम में हट गये तब बिनयमीनी उन में के तीस मनुष्य के अंटकल मारने लगे क्योंकि उन्होंने कहा कि निश्चय प्रागे के मंग्राम के समान वे हमारे आगे मारे पड़े। ४०। परंतु जब लौर और धूआं एक [A. B.S. 66