पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५३८

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रूत ५३० से में नाते का व्यवहार तुझ से करूंगा से बिहान लो लेटी रह ॥ १। सो वुह बिहान लो उस के पांव पाम पड़ी रही और उसे पहिले उठी कि एक दूसरे को चीन्ह सके नब उस ने कहा कि कोई जान्ने न पाये कि कोई स्त्री खलिहान में आई धौ॥ १५. फिर उस ने यह भी कहा कि अपनी ओढ़नी धर और जब उस ने धरा तो उस ने छः नपुआ जब उस पर डाल दिये और बुह नगर को गई। १६ । जब बुह अपनी साम पास श्राई तब बुह बोली हे वेटी तू कौन और जो कुछ कि उम पुरुष ने उस्मे किया था उग् ने सब वर्णन किया ॥ १७॥ और कहा कि मुझे उम ने यह छ: नपुआ जब दिया क्योंकि उस ने मझे कहा कि तू अपनी सास पास छूछौ मत जा॥ १८। तब उस ने कहा कि हे बेटौ जब लो इस बात का अंत न देख ले तव लों चुपकी रह क्योंकि जब लों आज इस बात को समाप्त न कर ले बुह पुरुष चैन न करेगा। ४ चौथा पब । व बाबाज फाटक पर चढ़ गया और वहांजा बैठा और क्या देखता तक जमाटम के विषय में बाबाज ने कहा था वुह पाया जिसे उस ने कहा कि अहेर अमुक आइये एक अलंग हो वैठिये से बुह एक अलंग जा बैठा॥ २। बोआज ने नगर के दस प्राचीन बुलाये और कहा कि यहां वैठिये सो वे बैठ गये ॥ ३ । तब उस ने उस कुटुम्ब को कहा कि नअभी जो मोअब के देश से फिर आई है भूमि का एक टुकड़ा वेचती है जो हमारे भाई इस्लीमलिक का था। ४ । सेो यह कहके मैं ने तुझे चिताने चाहा कि निवामियों के भागे और मेरे लोगों के प्राचीनों के आगे उमे मोल ले यदि तू कड़ाये तो छुड़ा और यदि न छुड़ाये तो मुझे कह जिसने मैं जानूं क्योंकि तुझे छोड़ कोई छुड़वैया नहीं तेरे पोछे मैं हूँ वुह बोला कि मैं छुड़ाऊंगा। ५ । तब वोाज ने कहा कि जिस दिन तू बुह खेन नअमी से मोल लेवे रुत मायबौ से भी जो मृतक की पत्नी है मोन लेना तुझे अबश्य है और मृतक का नाम उस के अधिकार पर ठहरावे ॥ ६ । नब उस कुटुम्ब ने कहा कि मैं अपने लिये छुड़ा नहीं सना न हो कि मैं अपना अधिकार बिगार्छ सो तू अपने लिये मेरा पद