पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५४२

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[१ पन्ने समएल और क्यों नहीं खाती है और तेरा मन क्यों शाकित है तेरे लिये मैं दम बेटों से अच्छा नहीं ॥ । और जब वे सैला में खा पी चुके तो हन्ना उठी और उस समय एली याजक परमेश्वर के मंदिर के खंभे पास बैठक पर बैठा हुआ घा॥ १०। चार हवा मेमन के शोक से परमेश्वर की प्रार्थना किई और बिलख बिलख रोई॥ ९१ । और उस ने मनौती मान के कहा कि हे सेनाओं के परमेश्वर यदि तू अपनी दासी के कष्ट पर दृष्टि करे और मेरी सुधि लेवे और अपनी दासी को भूल न जाय परंतु अपनी दासी को पुत्र देवे तो मैं उसे जीवन भर परमेश्वर के लिये समर्पण करूंगी और उस के सिर पर कुरा न फिरेगा। १२ । और यों हुआ कि जब बुह परमेश्वर के भागे प्रार्थना कर रही यो एलौ उस के मुंह को देख रहा था। १३ । अब हन्ना मन ही मन कह रही थी केवल उस के हॉट हिलते थे परंतु उस का शब्द मुना न जाता था इस लिये एली समझा कि वह अमल में है ॥ १४। और एली ने उसे कहा कि कब ले त मतवाली रहेगी अपनी मदिरा व्याग कर॥ १५। तब हना ने उत्तर देके कहा कि नहीं मेरे प्रभु मेरा मन दुःखी है मैं ने मदिरा अथाबा अमल नहीं पीया परंतु अपने मन को परमेश्वर के आगे बहा दिया है। १६ । आप अपनी दासी को बलीवाल की पनी मत जानिये क्योंकि मैं अपने ध्यान और शेक की अधिकाई से अब लो बाली हूं ॥ १७॥ तब एली ने उत्तर देके कहा कि कुशल से जा इसराएल का ईश्वर तेरी माथैमा जोत ने उसे कि परी करे॥१८। तब उस ने कहा कि तेरी दामी तेरी दृष्टि में अनुग्रह पाये तब वुह स्त्री चली गई और खाया और फिर उस का मह उदास न हुआ॥ १६ । और वे बिहान को तड़के उठे और परमेश्वर के आगे दंडवत किई और फिरे और रामान में अपने घर आये और एलकाना ने अपनी पत्नी हन्ना को ग्रहण किया तब परमेश्वर ने उसे सारण किया। २० 1 और कितने दिन बीते ऐसा हुआ कि हन्द्रा गर्भिणी हुई और बेटा जनी और उस का नाम इस कारण समूएल रकवा कि मैं ने उसे परमेश्वर से मांगा है ॥ २१ । और एनुकाना अपने समस्त घर समेत चढ़ गया कि बरस का बलिदान और मनीती परमेश्वर के आगे चढ़ावे ॥ २२। परंतु हन्नः