पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५४४

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५३६ समूएल [२ पर्ब हुई ॥ ६ । परमेश्वर मारता है और जिलाना है वही समाधि में उतारता है और उठाता है। ७। परमेश्वर कंगाल करता है और धनी बनाता है वुह घटाता है और बढ़ाता है। ८। बुह कंगाल को धूल से उठाता है और कुअरों में बैठाने के लिये भिखारौ को कूड़े की ढेर से उठाता है और बिभत्र के सिंहासन का अधिकारी करता है क्योंकि भूमि के खंभे परमेश्वर के हैं और उस ने जगत को उन पर धरा है। । वुह अपने सिड्डों के चरणों की रक्षा करेगा और दुष्ट अंधियारे में चुप चाप पड़े रहेंगे क्योंकि बल से कोई न जीतेगा। १० । परमेश्वर के बैरी चूर हांगे वर्ग से बुह उन पर गर्जेगा परमेश्वर पृथिवी के अंत का न्याय करेगा और वह अपने राजा को बल देगा और अपने अभिषिक्त के सौंग को उभारेगा॥ ११ । और एलकाना अपने घर रामात को गया और बुह लड़का एली याजक के आगे परमेश्वर की सेवा करता रहा। १२। अब एलो के बेटे जो दुष्ट जन थे परमेश्वर को पहिचानते न थे । १३ । और लोगों से याजकों को यह रीति थी कि जब कोई बलि चढ़ाता था और जब लो मांस उसना जाता था याजक का सेवक त्रिशूली मांस को करिया हाथ में लेके आता घा॥ १४। और उसे कड़ाही अथवा बटलाही अथवा हण्डा अथवा हाड़ी में लगाता था जितना उस कांटे में निकलता था याजक श्राप लेता था से वे सारे दूसराएलियों से जा सैला में जाते थे याहीं करते थे। १५ । और चिकनाई जलाने से आगे भौ याजक का सेवक श्राता था और बलि के चढ़वैये से कहता था कि भूने के लिये याजक को मांस देयो क्योंकि वह तुझ से सिझाया हुन्ना मांस न लेगा परंतु कक्षा ॥ १६। और यदि कोई उसे कहता कि हम अभी चिकनाई जला लेबें तब जितना तेरा जी चाहे उतना लेना तब बुह उन्तर देता था कि नहीं तू मुझे अभी दे नहीं तो मैं कौन लेगा॥ १७ ॥ इस लिये परमेश्वर के आगे उन तरुणों का महा पाप था क्योंकि लोग परमेश्वर की भेंट से चिन करते थे॥ १८। परंतु वह बालक समूएल सूती अफूट पहिने हुये परमेश्वर के आगे सेवा करता था॥ १९ । और उससे अधिक उम को माता एक छोटा कुरता बना के बरस बरस जब अपने पति के साथ भेंट चढ़ाने श्रातौ थी उस के लिये लाया करती थी।