पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५४५

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२ प] १ पुस्तक। २.। सो एली ने एलकाना और उसकी पत्नी को आशीष दे के कहा कि परमेश्वर इस उधार को मंती जो परमेश्वर को उधार दिया गया तुझे इम स्त्री से बंश देवे और वे अपने घर को गये ॥ २१॥ फिर हन्ना पर परमेश्वर की कृपा हुई यहां ले कि वुह गर्भिणी हुई और तीन बेटे दो वेटियां अनौ और वह बालक ममूएल परमेश्वर के आगे बड़ा हुआ। २२। अब एली अति सड् हुआ और उप्ठ ने सब कुछ सुना जा उस के बेटे समस्त इसराएलियों से करते थे और किम रीति से वे उन स्त्रियों से कुकर्म करते थे जो जथा की जथा मंडली के तंत्र के द्वार पर एकट्टी होती धौं ॥ २३। और उम ने उन्हें कहा कि तम यह क्या करते हो क्योंकि मैं तुम्हारी बुराइयां हर एक जन से सुनता हूँ। २४। यह अच्छा नहीं हे मेरे बेटा जो मैं सुनता हूं से भन्ता नहीं तुम परमेश्वर के लोगों से पाप कराते हो ॥ २५ । यदि एक मनुष्य दूसरे मनुष्य के विरोध में पाप करे तो न्यायी विचार करेगा परत यदि कोई परमेश्वर के विरोध में पाप करे तो उस के लिये कौन बिनती करेगा तिस पर भी उन्हों ने अपने पिता का कहा न माना क्योंकि परमेश्वर उन्हें घात किया चाहता था ॥ २६ । और बुह लड़का समूएल बढ़ता गया और परमेश्वर के और लोगों के आगे अनुग्रह पाया ॥ २७। तब ईश्वर का एक जन एलौ पास बाया और उसे कहा कि परमेश्वर यों कहता है कि क्या मैं तेरे पिता के घराने पर जव चुह मिल में फिरजन के देश में था प्रगट न हुभा ॥ क्या मैं ने उसे दूसराएल की समस्त गोटियों से चुन न लिया कि मेरा याजक है।वे और मेरी बेदी पर बनिदान चढ़ावे और सुगंध जलावे और मेरे आगे अफट पहिने और होम की सारी भेंट जो इमरागन के संतान चहाने हैं मैं ने तेरे पिता के घराने को नहीं दिया ।। २९ । फेर तुम काहे को मेरे बलिदानों को चौर भेटों को जो मैं ने अपने निवास में आज्ञा किई है लताड़ते हो और तू अपने बेटों को मुझ से अधिक प्रतिष्ठा देता है कि मेर लोग इमराएल के संतान की भेटों से मोटे बनो। ३० । सो परमेश्वर इसराएन का ईश्वर कहना है कि मैं ने निश्चय कहा था कि तेरा घर और मेरे पिता का घर मदा मेरे आगे चने परंतु अब परमेश्वर कहता है कि यह मझ सेदूर है। वे क्योंकि जो मुझे प्रतिष्ठा देते हैं मैं उन्हें प्रतिष्ठा [A. B. S. २८ । चौर 68