पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५४७

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॥ की १ पुस्तक । बुलाया और उस ने उत्तर दिया कि हे पुत्र मैं ने नहीं बुलाया फिर जा लेट रह। ७। और समूएल अब लो परमेश्वर को न जानता था और न परमेश्वर का बचन उस पर प्रगट हुआ था। । तब परमेश्वर ने तीसरे वार ममूएल को फिर पुकारा और वुह उठ के एली पास गया और कहा कि मैं यहीं है क्योंकि तू ने मुझे बुलाया से एली ने बूझा कि इस बालक को परमेश्वर ने पुकारा है। । दम लिये एली ने समूएल को कहा कि जा पड़ रह औरर यों होगा कि यदि तुझे पुकारे तो कहियो कि हे परमेश्वर कह क्योंकि तेरा दास सुनता है सो समूएल अपने स्थान पर जाके लेट रहा। १.। और परमेश्वर आके खड़ा हुआ और आगे की नाई पुकारा समूएन्न समूएल तब समूएल ने उत्तर दिया कि कहिये क्योंकि तेरा दास मुनता ११। तब परमेश्वर ने ममूएल से कहा कि देख मैं इसराएल में ऐसा कार्य करूंगा जिसने सुनवैयों के कान मंझना उठेगे॥ १२। मैं उस दिन सब कुछ जा मैं ने एलौ के घराने के विषय में है पूरा करूंगा जब मैं प्रारंभ करूंगा तब समाप्त भी करूंगा॥ १३ । क्योंकि मैं ने उसे कहा है कि मैं उस बुराई की संती जो बुह जानता है उस के घर का न्याय करूंगा इस कारण कि उस के बेटी ने श्राप को सापित किया है और उस ने उन्हें न घुरका ॥ १४॥ इस लिये एलौ के घर के विषय में मैं ने किरिया खाई है कि एली के घर का पाप बलिदानों और भेटों से कधी पावन न किया जायगा ॥ २५। फिर ममूएल विहान लां पड़ा रहा और उस ने ईश्वर के मंदिर के द्वार खोले और समूएल उस दर्शन को एलो पर प्रगट करते डरा ॥ १६ ॥ समूएल को बुलाया और कहा कि हे मेरे बेटे समूएल वुह बोला कि मैं यहीं ॥ १७। उस ने पूछा कि घुह क्या है जो उम ने तुझे कहा है मुझ से मत छिपा यदि तू इस में से कुछ छिपावे जो उस ने तमें कहा है तो ईश्वर तुझ से ऐसा ही करे और अधिक ॥ तब समूएल ने उसी सारी बातें कही और कुछ न छिपाया वुह बोला कि वह परमेश्वर है जो भला जाने से करे॥ १६ । और समूएल बढ़ा चैत्र परमेश्वर उस के साथ था और उस ने उम की कोई बात भूमि पर अका- रथ गिरने न दिई॥ २.। और दान से लेके विपरसबः ममस्तु कहा तब एली ने १८।